Tuesday 18 September 2012

चाची के साथ होटल में मज़े किये

चाची के साथ होटल में मज़े किये

मेरा नाम रवि है. बात उन दिनों की है जब मेरी उम्र 19 साल की थी और मै इंजीनियरिंग के पहले साल में बंगलौर में पढ़ रहा था. मै बनारस का रहने वाला हूँ. मेरे सेमेस्टर के एक्जाम समाप्त हो गए थे. और कुछ दिनों की छुट्टी के लिए घर आया था. मेरा घर संयुक्त परिवार का है. मेरे परिवार के अलावा मेरे चाचा एवं चाची भी साथ में ही रहते थे. मेरे चाचा पेशे से हार्डवेयर के थोक विक्रेता थे. उन्होंने काफी धन कमाया रखा था उन्होंने. उनकी शादी को सात साल हो गए थे लेकिन अभी तक कोई संतान नहीं हुई थी. चाची की उम्र 28  साल की थी. वो बनारस जिले के ही एक गाँव की थी. थी तो देहाती लेकिन देखने में मस्त थी. उनकी जवानी पुरे शवाब पर थी. झक गोरा बदन और कटीले नैन नक्श और गदराये बदन की मालकिन  थी. वो लोग ऊपर के मंजिल में रहते थे. जब चाचा दूकान और मेरे पापा अपने कार्यालय चले जाते थे तो मै और चाची दिन भर ऊपर बैठ कर गप्पें हाकां करते थे. चाची का नाम मोना था. सच कहूँ तो वो मुझे अपना दोस्त मानती थी. वो मेरे सामने बड़े ही सहज भाव से रहती थी. अपने कपडे लत्ते भी मेरे सामने ठीक से नहीं पहनती थी. उनकी चूची की आधी दरार हमेशा दिखती रहती थी. कभी कभी तो सेक्स की बात भी कर डालती थी. जब भी मुझे अकेली पाती थी तो हमेशा डबल मीनिंग बात बोलती थी. जैसे बछडा भी दूध देता है. तेरा डंडा कितना बड़ा है? तुझे स्पेशल दवा की जरुरत है. आदी .   दिन भर मेरे कालेज और बंगलौर के किस्से सुनते रहती थी. जब मेरे बंगलौर जाने के छः दिन शेष रह गए थे तभी एक दिन चाची ने कहा - वो लोग भी बंगलौर घुमने जाना चाहते हैं.

मैंने कहा - हाँ क्यों नहीं. आप दोनों (चाचा-चाची) मेरे साथ ही अगले शनिवार को चलिए. मै आप दोनों को वहां की पूरी सैर करवा दूंगा.

चाची ने अपना प्लान चाचा को बताया. चाचा तुरंत मान गए. मैंने उसी समय इन्टरनेट से हम तीनो का टिकट एसी फर्स्ट क्लास में कटवाया. अगले शनिवार को हमारी ट्रेन थी. अगले शनिवार को सुबह हम तीनो ट्रेन से बंगलौर के लिए रवाना हुए. अगले दिन रविवार को शाम सात बजे हम सभी बंगलौर पहुच चुके थे. मैंने उनको एक बढ़िया सा होटल में कमरा दिला दिया. उसके बाद मै वापस अपने होस्टल आ गया. होस्टल आने पर पता चला कि कल  से कालेज के क्लर्क लोग अपनी वेतन बढाने के मांग को ले कर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जा रहे हैं. और इस दौरान कालेज बंद रहेगा. मेरे अधिकाँश मित्रों को ये बात पता चल गयी थी. इसलिए सिर्फ 25 - 30  प्रतिशत छात्र ही कालेज आये थे.

मै अगले दिन करीब 11 बजे  अपने चाचा के कमरे पर गया.वहां दोनों नाश्ता कर रहे थे. चाची ने मेरे लिए भी नाश्ता लगा  दिया. मैंने देखा कि चाचा कुछ परेशान हैं. पूछने पर पता चला कि जिस कम्पनी का उन्होंने फ्रेंचाइजी ले रखा है उस कम्पनी ने दुबई में जबरदस्त सेल ऑफ़र किया है . अब चाचा की परेशानी ये थी कि अगर वो वापस चाची को बनारस छोड़ने जाते और वहां से दुबई जाते तो तक तक सेल  समाप्त हो जाती. और अगर साथ में ले कर दुबई जा नही सकते थे क्यों कि चाची का कोई पासपोर्ट वीजा था ही नहीं.

मैंने कहा - अगर आप दुबई जाना चाहते हैं तो आप चले जाएँ. क्यों कि मेरा कालेज अभी एक साप्ताह बंद रह सकता है. मै चाची को या तो बनारस पहुंचा दूंगा या फिर आपके वापस आने तक यहीं रहेगी. आप दुबई से यहाँ आ जाना और फिर घूम फिर कर चाची के साथ वापस बनारस चले जाना.

चाचा को मेरा सुझाव पसंद आया.

चाची ने भी कहा - हां जी, आप बेफिक्र हो कर जाइए. और वापस यहीं आइयेगा . तब तक रवि मुझे बंगलौर घुमा देगा. आपके साथ मै दोबारा घूम कर वापस आपके साथ ही बनारस चले  जाऊंगी. चाचा को चाची का ये सुझाव भी पसंद आया.

लैपटॉप पर इन्टरनेट  खोल कर देखा तो उसी दिन के  दो बजे की फ्लाईट में सीट खाली थी. चाचा ने तुरंत सीट बुक की और हम तीनो एयरपोर्ट की और निकल पड़े. दो बजे चाचा की फ्लाईट ने दुबई की राह पकड़ी और मैंने एवं चाची ने बंगलौर बाज़ार की. चाची के साथ लंच  किया. घूमते घूमते हम मल्टीप्लेक्स आ गए. शाम के सात  बज गए थे. चाची ने कहा - काफी महीनो से  मल्टीप्लेक्स में सिनेमा नहीं देखा. आज देखूंगी.

मैंने देखा कि कोई नई पिक्चर आयी थी इसलिए सारी टिकट बिक चुकी थी. उसके किसी हाल  में कोई एडल्ट टाइप की इंग्लिश पिक्चर की हिंदी वर्सन लगी हुई है. फिल्म चार सप्ताह से चल रही थी इसलिए अब उसमे कोई भीड़ नही थी. मैंने 2 टिकट सबसे कोने का लिया और हाल के अन्दर चला गया. मुझे सबसे ऊपर की कतार वाली सीट दी  गयी थी. और उस पूरी कतार में दुसरा कोई भी नही था. हमारी कतार के पीछे सिर्फ दीवार थी. मैंने जान बुझ कर ऐसी सीट मांगी थी.  मेरा आगे वाले तीन कतार के बाद कोने पर एक लड़का और लड़की अकेले थे. उस कतार में भी उसके अलावे कोई नही था. उसके अगले कतार में दुसरे कोने पर एक और जोड़ा था. इस तरह से उस समय 300 दर्शकों की क्षमता वाले  हाल में सिर्फ 20 - 22  दर्शक  रहे होंगे. पता नही इतने कम दर्शकों के लिए फिल्म क्यों लगा रखा था.  वो मेरे दाहिने और बैठी. चाची के दाहिने दिवार थी. तुरंत ही फिल्म चालू हो गयी.

फिल्म शुरू होने के तुरंत बाद ही मेरे बाद के  चौथे कतार में बैठे लड़के एवं लड़की ने एक दुसरे के होठों को किस करना चालू कर दिया. हालांकि बंगलोरे के सिनेमा घरों में इस तरह के सीन आम बात हैं. हर शो में कुछ लड़के लड़की सिर्फ इसलिए ही आते हैं.

चाची ने उस जोड़े की तरफ मुझे इशारा कर के कहा - हाय देख तो रवि. कैसे एक दुसरे खुलेआम को चूस रहे हैं .

मैंने कहा - चाची , यहाँ आधे से अधिक सिर्फ इसलिए ही आते हैं. सिनेमा हाल ऐसे जगह के लिए बेस्ट है. तू उस कोने पर बैठे उस जोड़े को तो देख. वो भी वही काम कर रहा है. अभी  तो सिर्फ एक दुसरे को किस कर रहे हैं ना. आगे देखना क्या क्या करते हैं. तू ध्यान मत दे इन सब पर. सब मस्ती करते हैं. यही तो लाइफ है.

चाची - तुने भी कभी मस्ती की या नहीं इस तरह से सिनेमा हाल में.

मैंने कहा - अभी तक तो नहीं की. लेकिन अब के बाद पता नहीं. 


तुरंत ही फिल्म में सेक्सी सीन आने शुरू हो गए. मेरी चाची ने मेरे कान में फुसफुसा कर कहा - हाय राम, जरा देखो तो ये कैसी सिनेमा है.

मैंने कहा - चाची, ये बंगलौर है. यहाँ सब इसी तरह की फिल्मे रहती है. अब देखो चुपचाप आराम से . ऐसी फिल्मो के मज़े लो. बनारस में ये सब देखने को नहीं मिलेगी.

वो पूरी फिल्म सेक्स पर ही आधारित थी. मेरी चाची अब गरम  हो  रही  थी. वो गरम गरम साँसे फेंक रही थी. उसका बदन ऐठ रहा था. शायद वो  पहली बार किसी हाल में एडल्ट फिल्म देख रही थी. मैंने पूछा - क्यों चाची? पहले कभी देखी है ऐसी मस्त फिल्म?

चाची - नहीं रे. कभी नही देखी.

मैंने धीरे धीरे अपना दाहिना हाथ उनके पीछे से ले जा कर उनके कंधे पर रख दिया. मैंने देखा कि चाची अपने हाथ से अपने चूत  को साड़ी के ऊपर से सहला रही है. शायद सेक्सी सीन देख कर उनकी चूत गीली हो रही थी. मेरा भी लंड खड़ा हो गया था. मैंने भी अपना बायाँ  हाथ अपने लंड पर रख दिया.  मैंने धीरे धीरे चाची के  पीठ पर दाहिना हाथ फेरा. उसने कुछ नही कहा . वो अपनी चूत को जोर जोर से रगड़ रही थी. मैंने उनकी पीठ पर से हाथ फेरना छोड़ दाहिने हाथ से उनके गले को लपेटा और अपनी तरफ उसे खींचते हुए लाया. चाची मेरी तरफ झुक गयी.

मैंने पूछा- क्यों चाची, मज़ा आ रहा है फिल्म देखने में?

चाची ने शर्माते हुए कहा - धत ! मुझे तो बड़ी शर्म आ रही है.

मैंने कहा - क्यों ? इसमें शर्माना कैसा? तुम और चाचा तो ऐसा करते होंगे न?  तेरे एक हाथ जहाँ हैं न उस से तो लगता है कि मज़े आ रहे हैं तुझे.

चाची - हाय राम, बड़ा बेशरम हो गया है तू रे बंगलौर में रह कर. बड़ा देखता है यहाँ - वहां कि कहाँ हाथ हैं. कहाँ नहीं.

मैंने चाची के कानो को अपने मुह के पास लाया और कहा - जानती हो चाची? ऐसी फिल्मे देख कर मुझे भी कुछ कुछ होने लगता है.

चाची ने अपने होठ को मेरे होठो के पास लगभग सटाते हुए कहा - क्या होने लगता है?

मैंने अपने लंड को घसते  हुए कहा  - वही, जो तुझे हो रहा है न. मन करता है कि यहीं निकाल दूँ.

चाची - सिनेमा हाल में निकालते हो क्या?

मैंने - कई बार निकाला है. आज तू है इसलिए रुक गया हूँ.

चाची - आज यहाँ मत निकाल. बाद में निकाल लेना.  

थोड़ी देर में फिल्म की नायिका ने अपनी चूची मसलवा रही थी. हम दोनों और गर्म हो गए. तो मैंने चाची के कान में अपने होठ  सटा कर कहा - देख चाची, साली के चूची क्या मस्त है. नहीं?

चाची - ऐसी तो सब की होती है.

मैंने - तेरी है क्या ऐसी चूची?

चाची - और नहीं तो क्या?

मैंने - तेरी चूची  छू कर देखूं  क्या ?

चाची - हाँ , छू कर देख ले.

मैंने अपना दाहिना  हाथ से उनके चूची को पकड़ लिया और दबाने लगा. उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया और आराम से अपने चूची को दबवाने लगी. मैंने धीरे धीरे अपना दाहिना हाथ उनके ब्लाउज  के अन्दर डाल दिया. फिर ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर उनका बड़े बड़े चुचीयों को मसलने लगा. वो मस्त हुई जा रही थी.
मैंने - अपनी ब्लाउज खोल दे न. तब मज़े से दबाऊंगा.
 

उसने कहा - यहाँ?

मैंने कहा और नहीं तो क्या? साडी को अपने चूची से ढके रहना. यहाँ कोई नहीं देखने वाला.

वो भी गरम हो चुकी थी. उसने ब्लाउज खोल दिया. लगे हाथ उसने अपना ब्रा भी खोल दिया. और अपने नंगी चूची को अपनी साड़ी से ढक लिया. मैंने मज़े ले ले कर उसके नंगी चूची को सिनेमा हाल में ही दबाना चालू कर दिया. 


मै जो चाहता था वो मुझे  करने दे रही थी. मुझे पूरी आजादी दे रखी थी. थी. मैंने अपने बाएं हाथ से उनके बाएं हाथ को पकड़ा और उसके हाथ को अपने लंड पर रख दिया.

और धीरे से कहा- देखो न. कितना खड़ा हो गया है. चाची ने मेरे लंड को जींस के ऊपर से दबाना चालू कर दिया.

अब मैंने देख लिया कि चाची पूरी तरह से गर्म है तो मैंने अपना हाथ उनके ब्लाउज से निकाला और उसके पेट पर ले जा कर नाभी को सहलाने लगा. धीरे धीरे मैं अपने हाथ को नुकीला बनाया और नाभी के नीचे उनके साड़ी के अन्दर डाल दिया. चाची थोड़ी चौड़ी हो गयी जिस से मुझे हाथ और नीचे ले जाने में सहूलियत हो सके. मैंने अपना हाथ और नीचे किया तो उनकी पेंटी मिल गयी. मैंने उनकी पेंटी में हाथ डाला और उनके चूत पर हाथ ले गया. ओह क्या चूत थे. एक दम घने बाल. पूरी तरह से चिपचिपी  हो गयी थी. मैंने काफी देर तक उनकी चूत को सहलाता रहा. और वो मेरे लंड को दबा रही थी. मैंने अपने दाहिने हाथ की  एक ऊँगली उनके चूत के अन्दर घुसा दी. वो पागल सी हो गयी.

उसने आस पास देखा तो कोई भी हम लोग के आस पास नहीं था. उसने अपनी साड़ी को नीचे से उठाया और जांघ के ऊपर तक ले आयी. फिर मेरे हाथ को साड़ी के ऊपर से हटा कर नीचे से खुले हुए रास्ते से ला कर अपनी चूत पर रख दी. और बोली - अब आराम से कर, जो करना है.

अब मै उसके चूत को आराम से छू रहा था. उसने अपनी पेंटी को नीचे सरका दिया था. मैंने उसकी चूत में उंगली डालनी शुरू की तो उसने अपनी चूत और चौड़ी कर ली.

उसने मेरे कान में कहा - तू भी अपनी जींस की पेंट खोल ना. मै भी तेरी सहलाऊं .

मैंने जींस का चेन खोल दिया. लंड किसी राड की तरह खड़ा था. चाची ने बिना किसी हिचक के मेरे लंड को पकड़ा और सहलाने लगी . मै  भी उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा. वो सिसकारी भर रही थी. मेरा लंड भी एकदम चिपचिपा हो गया था.

मैंने कहा - चाची, अब बर्दाश्त नहीं होता. अब मुझे मुठ मार  कर माल निकालना ही पडेगा.

चाची - आज मै मार देती हूँ तेरी मुठ. मुझसे
मुठ मरवाएगा?

मैंने कहा - तुझे
आता है लंड का मुठ मारना ?

चाची - मुझे क्या नही आता? तेरे चाचा का लगभग हर रात को मुठ मारती हूँ. सिर्फ हाथ से ही नही...किसी और से भी..

मैंने कहा - किसी और से कैसे?

चाची - तुझे नही पता कि  लंड का मुठ मारने में हाथ के अलावा और किस चीज का इस्तेमाल होता है?

मैंने कहा - पता है मुझे. मुंह से ना.

चाची - तुझे तो सब पता है.

मैंने कहाँ - तू 
चाचा का लंड अपने मुंह में ले कर चूसती है?

चाची - हाँ रे, बड़ा मजा आता है मुझे और उनको.

मैंने कहा - तू चाचा का माल कभी पी है?

चाची - बहुत बार. एकदम नमकीन मक्खन की तरह लगता है.

मैंने- तू तो बहुत एक्सपर्ट है. मेरी भी मुठ मार दे ना आज. अपने हाथों से ही सही. 


चाची ने मेरे लंड को तेजी से ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया. सचमुच काफी एक्सपर्ट थी वो. चाची  सिनेमा हाल के अँधेरे में मेरा मुठ मारने लगी.  पहली बार कोई मेरा मुठ मार रही थी. मै ज्यादा देर बर्दास्त नहीं कर पाया. धीरे से बोला - हाय चाची,  मेरा निकलने वाला है. चाची ने तुरन अपने साड़ी का पल्लू मेरे लंड पर लपेटा. सारा माल मैंने चाची के साड़ी में ही गिरा दिया.

फिर मैंने चाची के चूत में उंगली अन्दर बाहर  करने लगा. चाची भी एडल्ट फिल्म की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पायी. उनका माल भी निकलने लगा. उसने तुरंत अपने चूत में से मेरी ऊँगली निकाली और अपने साड़ी के पल्लू में अपना माल पोंछ डाला.

2 मिनट बाद अचानक बोली - रवि, चलो यहाँ से, अपने होटल के कमरे में.

मैंने कहा - क्यों? अभी तो फिल्म ख़त्म भी नहीं हुई है.

चाची - नहीं, अभी चलो, मुझे काम है तुमसे.

मैंने - क्या काम है मुझसे?

चाची- वही. जो अभी यहाँ कर रहे हो. वहां आराम से करेंगे.

मैंने कहा - ठीक है चलो.

और हम लोग फिल्म चालू होने के 45 मिनट बाद ही निकल गए. हमारा होटल वहां से पांच  मिनट की  दुरी पर ही था. वहां से हम सीधे अपने कमरे में आये. कमरे में आते ही चाची ने अपनी साड़ी उतरा फेंकी. लपक कर मेरी शर्ट और जींस खोल दी. अब मै सिर्फ अंडरवियर में था. चाची ने अगले ही पल अपनी ब्लाउज को खोल दिया. और पेटीकोट भी उतार दी. अब वो भी सिर्फ ब्रा और पेंटी  में और मै सिर्फ अंडरवियर में था.

वो मुझे अपने सीने के लपेट कर पागलों की तरह चूमने लगी. मेरे पुरे बदन को चाटने लगी. 


चाची- रवि , आ जा, अब जो भी करना है आराम से कर. मुझे भी तेरी काफी प्यास लगी है . मेरी प्यास बुझा दे. चीर डाल मुझे.

मैंने अपना अंडरवियर खोल दिया. मेरा 9 इंच का लंड किसी तोप की भांति चाची के तरफ खडा था. मै आगे बढ़ा और अपना लंड चाची के हांथों में थमा दिया. चाची मेरे लंड को सहलाने लगी. बोली - बाप रे बाप !   कितना बड़ा लंड है रे.

मैंने मोना (चाची) के चुचियों का दबाते हुए कहा - मोना चाची, तू बड़ी मस्त है. चाचा को तो खूब मज़े देती होगी तू.

मोना - तू भी ले न मज़े. तू चाचा का भतीजा है. तेरा भी उतना ही हक बनता है मुझ पर. और तू मुझे सिर्फ मोना कह ना. चाची क्यों पुकारता है मुझे. अब से तू मेरा दुसरा पति है

मैंने - हाँ मोना. क्यों नहीं.

मोना - हाय, कितना अच्छा लगता है जब तू मुझे मेरे नाम से बुलाता है. सच बता कितनी को चोदा है तू अब तक?

मैंने - अब तक एक भी मोना डार्लिंग, आज तुझसे ही अपनी ज़िंदगी की पहली चुदाई शुरू करूँगा. 

मैंने मोना के ब्रा को खोला और नंगी चूची को आज़ाद किया. साली की चूची तो ऐसी थी कि आज तक मैंने किसी ब्लू फिल्मों  की रंडियों की चूचियां भी वैसी नहीं देखी. एकदम चिकनी और गोरी. एक तिल का भी दाग नही था. मैंने उसकी घुंडियों को अपने मुंह में लिया और चूसने लगा. मोना सिसकारी भरने लगी. मैंने उसे लिटा  दिया. उसके बदन के हर अंग को चूसते हुए उसके पेंटी पर आया. उसकी पेंटी बिलकूल गीली  हो चुकी थी. मैंने उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसके चूत को चूसने  लगा.

मोना पागल सी हो रही थी. मैंने धीरे धीरे उसकी पेंटी को उसकी चूत पर से हटाया. आह ! क्या शानदार चूत थी. लगता ही नहीं था कि पिछले चार साल से इसकी चुदाई हो रही थी. गोरी गोरी चूत पर काले काले झांट. ऐसा लगता था चाँद पर बादल छ गए हों. मैंने झांटों को हाथ से बगल किया और उसके चूत को उँगलियों से फैलाया. अन्दर एकदम लाल नजारा देख कर मेरा दिमाग ख़राब हो रहा था. मैंने झट से उसकी लाल लाल चूत में अपनी लपलपाती जीभ डाली. और स्वाद लिया. फिर मैंने अपनी पूरी जीभ जहाँ तक संभव हुआ उसकी चूत में घुसा कर चूस चूस कर स्वाद लेता  रहा. मोना जन्नत में थी. उसने अपने दोनों टांगो से  मेरे सर को लपेट लिए और अपने चूत की  तरफ दबाने लगी. दस मिनट तक उसकी चूत चूसने के बाद उसके चूत से माल निकलने लगा. मैंने बिना किसी शर्म के सारा माल को चाट लिया. मोना बेसुध हो कर पड़ी थी. वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी.

मैंने कहा - सच बता मोना, चाचा से पहले कितनो से चुदवाई है तू?

मोना - तेरे चाचा से पहले सिर्फ दो ने चोदा है मुझे .

 मैंने कहा - हाय, किस किस ने तुझे भोग रे?


 

मोना - जब मै सोलह साल की थी तब स्कूल की एक सहेली के भाई ने मुझे तीन बार चोदा. फिर जब मै उन्नीस साल की थी तो कालेज में मेरा एक फ्रेंड था. हम सब एक जगह पिकनिक पर गए थे. तब उसने मुझे वहां एक बार चोदा. एक साल बाद तो मेरी शादी ही तेरे चाचा से हो गयी.

मैंने - तब तो मै चौथा  मर्द हुआ तेरा न?


मोना - हाँ. लेकिन सब से प्यारा मर्द.


मै उसके बदन पर लेट गया आर उसके रसीले होठ को अपने होठ में लिए और अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दिया. कभी वो मेरी जीभ चुस्ती कभी मै उसकी जीभ चूसता. इस बीच मैंने उसके दोनों टांगो को फैलया और उसके चूत में उंगली डाल दिया. मोना ने मेरी लंड पकड़ी और उसे अपने चूत के छेद के ऊपर ले गयी और हल्का सा घुसा दी. अब शेष काम मेरा था. मैंने उसके जीभ को चाटते हुए ही एक झटके में अपना लंड उसके चूत में पूरा डाल दिया. वो दर्द में मारे बिलबिला गयी.

बोली - अरे , रवि, फाड़ देगा क्या रे? निकाल रे .

लेकिन मै जानता था कि ये कम रंडी नहीं है. इसे कुछ नहीं होगा. मैंने उसकी दोनों बाहें पकड़ी और अपने लंड को उसके चूत में धक्के लगा शुरू कर दिया. वो कस के अपनी आँखें बंद कर रही थी और दबी जुबान से कराह रही थी. लेकिन मुझे उस पर कोई रहम नहीं आ रहा था. बल्कि उसके चीख में मुझे मजा आ रहा था. 70 -75  धक्के के बाद उसकी चीखें बंद हो हो गयी. अब उसकी चूत  पूरी तरह से मेरे लंड को सहने योग्य चौड़ी हो गयी थी. अब वो मज़े लेने लगी. उसने अपनी आँखे खोल कर मुस्कुरा कर कहा - हाय रे रवि. बड़ा जालिम है रे तू. मुझे तो लगा मार ही डालेगा .

मैंने कहा - मोना डार्लिंग, मै तुझे कैसे मार सकता हूँ रे. तू तो अब मेरी जान बन गयी है. और तुझे तो आदत होगी न बचपन से?

मोना हंसने लगी. बोली - लेकिन इतना बड़ा लंड की आदत नहीं है मेरे शेर राजा. . मज़ा आ रहा है तुझ से चुदवा कर.
     
करीब दस मिनट तक चोदने के बाद मेरे लंड से माल निकलने पर हो गया. मैंने कहा - मोना डार्लिंग, माल निकलने वाला है.

मोना - निकलने दो न वहीँ.

अचानक मेरे लंड से गंगा जमुना बहने लगी और मै पूरा जोर लगा कर मोना की चूत में अपना लंड घुसा दिया. मोना कराह उठी.

थोड़ी देर बाद हम दोनों को होश आया. मेरा लंड उसके चूत में ही था.

मै उसके नंगे बदन पर से उठा. समय देखा तो नौ बजने को थे. मैंने पूछा - मोना नहाएगी?

मोना - हाँ रे, चल न.

मैंने उसे अपनी गोद में उठाया. उसने भी हँसते हुए अपनी दोनों बाहें मेरे गले में लपेटा और हम दोनों बाथरूम में आ गए. वहां मैंने मोना को बाथटब में डाल दिया. फिर शावर को टब की  ओर घुमाया और चला दिया.  अब नीचे भी पानी और ऊपर से भी पानी बरस रहा था. मै मोना के  ऊपर लेट गया. अब हम ठन्डे पानी में एक दुसरे के आगोश में थे. मेरे होठ उसके होठ चूम रहे थे. मेरे एक हाथ उसके चुचियों से खेल रहे थे और मेरे दसरे हाथ उसके चूत के छेद में ऊँगली कर रहे थे. और वो भी खाली नही थी. वो मेरे लंड को दबा रही थी. दस मिनट तक ठन्डे पानी में एक दुसरे के बदन से खेलने के बाद हम दोनों का शरीर फिर गर्म हो गया. मैंने उसके टांगों को टब के ऊपर रखा और अपने लंड को उसके सुराख में डाला और पानी में डूबे डूबे ही उसे 20  मिनट तक आराम से चोदता रहा. इस दौरान मेरे और उसके होठ कभी अलग नहीं हुए. अचानक मेरे लंड ने माल निकालना चालू किया तो मै उसे चोदना छोड़ कर उसके चूत में लंड को पूरी ताकत के साथ दबाया और स्थिर हो गया और मेरे होठ का दवाब उसके होठ पर और ज्यादा बढ़ गया. जब मै उसके होठ के अपने होठ अलग किया तो उसने कहा - कितनी देर तक  चोदते हो, मेरी जान तुम्हे पता है मेरा दो बार माल निकल चूका था इस चुदाई में. मै कब से कहना चाहती थी लेकिन तुमने मेरे होठों पर भी अपने होठो से ताला लगा दिया था. 

मैंने कहा   - मोना डार्लिंग, सच बताना, कैसा लगा मेरा लंड का करिश्मा?

मोना - मानना पड़ेगा, सच में मज़ा आ गया मुझे तो आज. अब चल कुछ खा -पी ले. अभी तो पुरी रात बांकी है.

मैंने बाथरूम के ही फोन पर से खाने के लिए चिकन, पुलाव, बियर और सिगरेट रूम में ही मंगवा लिया. थोड़ी देर में कमरे की घंटी बजी. मै टावेल लपेट कर बहार आया. और खाना टेबल पर रखवा कर वेटर को वापस किया. कमरे का दरवाजा बंद कर के मैंने मैंने मोना को आवाज दिया. मोना नंगे ही बाथरूम से बाहर आई. मैंने भी टावेल खोल दिया. फिर हम दोनों ने जम के चिकन-पुलाव खाया  और बियर पी. मोना पहले भी बियर पीती थी. चाचा पिलाता था. मेरे कहने पर उस ने उस दिन 3 सिगरेट भी पी ली. उसके बाद मैंने उसकी कम से कम  10 - 11   बार चुदाई  की. कभी उसकी चूत की चुदाई , तो कभी गांड की चुदाई, तो कभी मुंह की चुदाई. कभी चूची की चुदाई.

साली मोना भी कम नही थी. एक दम रंडी की तरह रात भर चुदवाते रही. सारी  रात मैंने उसे लुटा. सुबह के आठ बजे तक मैंने उसकी चुदाई करी. तब जा कर मोना को थकान हुई.  तब बोली - रवि , अब मै थक गयी हूँ. अब बाथरूम चल न.

मैंने उसे उठा कर बाथरूम ले गया. बाथरूम में संडास के दो सीट थे. एक देसी और एक विदेशी. उसे देसी सीट पसंद थी. मै विदेशी सीट पर बैठ गया और संडास करने लगा. वो मेरे सामने ही देसी सीट पर बैठ कर  संडास करने लगी. मुझे उसकी संडास की खुसबू भी अच्छी लग रही थी.

मैंने कहा - मोना , तेरी गांड मै धोऊंगा आज.   

उसने कहा - ठीक है. मै भी तेरी गांड धोउंगी .

संडास कर के हम दोनों उठे. मैंने उसे सर नीचे कर के गांड उठाने कहा . उसने ऐसा ही किया. इस से उसका गांड खुल गया. मैंने पानी से अच्छे से उसके गांड में लगे पैखाने को अपने हाथ से साफ़ किया.

फिर मैंने भी वही पोजीशन बनायी . उसने भी मेरी गांड को अपने हाथ से साफ़ किया.

फिर हम दोनों लगभग एक घंटे तक टब में डूबे रहे और एक दुसरे के अंगों  से खेलते रहे. टब में दो बार उसी चुदाई करी.

फिर वापस कमरे में आ कर नाश्ता मंगवाया. और नाश्ता कर के हम दोनों जो सोये तो सीधे पांच बजे उठे.
हम दोनों नंगे थे.उसने मेरे लंड पर हाथ साफ़ करना शुरू किया. लंड दूसरी पारी के लिए एकदम से तैयार हो गया.
मै मोना के बदन पर चढ़ गया और उसके चूत में अपना नौ इंच का लंड घुसेड दिया. 


तभी चाचा का फोन आया. लेकिन मैंने मोना की चुदाई बंद नही की. मोना ने मुझसे चुदवाते हुए अपने पति यानी मेरे चाचा से बात की. उन्होंने कहा कि वो दुबई पहुँच गए हैं. फिर मोना से पूछा कि क्या तुमने रवि के साथ बंगलौर घूमी या नहीं. मोना ने मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखा और फोन पर कहा - रवि को फुर्सत ही नहीं मिलता है. जब आप आयेंगे तभी मै आपके साथ घुमुंगी. तब तक आपका इंतज़ार करती हूँ.

फोन रख कर उसने बगल से सिगरेट उठाया और जला कर कश लेते हुए कहा - क्यों रवि? तब तक तुम मुझे जन्नत की सैर करवाओगे न?

मैंने हँसते हुए अपने लंड के धक्के उसके चूत में तेज किया और कहा - क्यों नहीं मोना डार्लिंग.लेकिन तू हैं बड़ी कमीनी चीज.

मोना ने भी मेरे लंड के धक्के पर कराहते हुए मुस्कुरा कर कहा - तू भी तो कम हरामी नहीं है. पक्का मादरचोद है तू. मौका मिले तो अपनी माँ को भी चोद डालेगा तू.

मैंने कहा- पक्की रंडी है तू साली. एकदम सही पहचाना मुझे. तुझ पर तो मेरी तभी से नजर थी जब से तू मेरे घर पर चाची बन के आई थी . अब जा के मौका मिला है तुझे चोदने का.

मोना - हाय मेरे हरामी राजा. पहले क्यों नही बताया. इतने दिन तक तुझे प्यासा तो ना रहना पड़ता.

मैंने कहा - सब्र का फल मीठा होता है मेरी जान.

तब तक मेरे लंड का माल उसके चूत में निकल चुका था. अब मै उसके बदन पर निढाल सा पडा था और वो सिगरेट के कश ले रही थी. 


और फिर....अगले 6 दिन तक हम दोनों में से कोई कमरे के बाहर भी नहीं निकला जब तक कि चाचा दुबई से वापस नहीं आ गए. 

माँ - बेटियों ने एक दुसरे के सामने मुझे चुदवाया

माँ - बेटियों ने एक दुसरे के सामने मुझे चुदवाया

मेरा नाम गबरू है. मेरी उम्र लगभग 45 वर्ष  की है. यूँ तो मै एक टैक्सी ड्राइवर हूँ लेकिन मै रंडियों का दलाल भी हूँ. मैंने अपने संपर्क से कई बेरोजगार लड़कियों को जिस्म फरोशी के धंधे में उतारा. मैंने कभी भी किसी लड़की को जबरदस्ती इस धंधे में आने को मजबूर नहीं किया. मैंने सिर्फ उन लड़कियों को कमाने का एक जरिया दिखाया एवं सुविधाएं दिलवाईं जिन के पास खाने के भी लाले थे. मै भी उन लड़कियों को बारी बारी से  चोदता हूँ.  मेरे लिए  मेरी सभी लड़कियों का जिस्म फ्री में उपलब्द्ध रहता है. क्यों की मैं ही उन्हें नए नए क्लाइंट खोज के ला कर देता हूँ. टैक्सी की ड्राइवरी से मुझे नए ग्राहक खोजने में ज्यादा परेशानी  नही  होती  है.

रागीनी इन्ही मजबूर लड़कियों में एक थी. जिसकी उम्र सिर्फ 19 साल की है जो अब पेशेवर रंडी बन चुकी थी. वो तीन साल पहले इस धंधे में मेरे द्वारा ही लायी गयी थी. हालांकि वो मुझे अंकल कहती है लेकिन मै भी उसके जिस्म का भोग उठाता हूँ.  मुझे उसे चोदने में काफी आनंद आता  था .  अचानक एक दिन  उसके गाँव से उसकी मौसी का फ़ोन आया कि उसके पति (यानि रागिनी के मौसा)  का देहांत हो गया है. और वो लोग काफी मुश्किल में हैं. वो भी अपनी बेटी को रागिनी के साथ उसके धंधे में देना चाहती है ताकि घर का खर्च चल सके. रागिनी  ने मुझे सारी बातें बतायी.  रागिनी ने अपने धंधे के बारे में अपने मौसी को  काफी पहले ही बता दिया था जब दो साल पहले उसकी मौसी अपने पति का इलाज करवाने रागिनी के यहाँ आयी थी.

रागिनी ने अपनी मौसी की समस्या के बारे में मुझे बताया और कहा कि मौसी भी अपनी बेटी को रंडीबाजी के धंधे में उतारना चाहती है. मै झट से उसे अपने गाँव जा कर उस लड़की को लेते आने कहा.   

रागिनी ने कहा - गबरू  अंकल, आप भी चलिए ना मेरे साथ. एकदम मस्त जगह है मेरा गाँव . पहाड़ों पर है. अगर आप मेरे साथ चलेंगे तो हम दोनो का हनीमून भी हो जाएगा .  


मैंने कहा - हाँ क्यों नहीं.

और हम दोनों ने उसी शाम रागिनी के अल्मोड़ा के लिए बस पकड़ ली  अगली सुबह करीब 9 बजे हम दोनों अल्मोड़ा पहुँच गए. वहीँ बस-स्टौप पर हीं फ़्रेश हो कर हम दोनों ने वहीं नास्ता किया और फ़िर करीब दो घन्टे हमारे पास थे, क्योंकि उसकी गाँव जाने वाली बस करीब 1 बजे खुलती। हम दोनों पास के एक पार्क में चले गए। रागिनी ने अपनी सब आपबीती बताई। उसकी मौसी बहुत गरीब हैं, और मौसा मजदूरी करते थे। उनकी मौत के बाद परिवार दाने-दाने का मोहताज है। रागिनी कभी-कभार पैसा मनी-आर्डर कर देती थी। अब मौसी ने उसको अपनी मदद और सलाह के लिए बुलाया था। मौसी की तीन बेटियाँ थीं - 13, 15 और 17 साल की। मौसी गाँव के चौधरी के घर काम करती थी तो रोटी का जुगार हो जाता था। चौधरी उसकी मौसी को कभी-कभार साथ में सुलाता भी था। उसके मौसा भी उसके खेत में हीं काम करते थे। यह सब बहुत दिन से चल रहा था। मौसा के मरने के बाद चौधरी अब उसकी मौसी के घर पर भी आ कर रात गुजारने लगा था. चौधरी के अलावे उसका मुंशी भी उसकी मौसी के यहाँ रात गुजारने आ जाता था और उसकी जिस्म का मज़ा लेता था.  अब चौधरी रागिनी की मौसी पर दवाब बना रहा था कि वो बड़ी बेटी रीना को उसके साथ सुलावे तभी वो उनको काम पर रखेगा। मौसी नहीं चाहती थी कि उनकी बेटी उसी से चुदे जो उसकी माँ भी चोदा हो, और कोई फायदा भी ना हो. सो वो रागिनी को बुलाई थी कि वो उसको साथ ले जा कर पूरी तरह से रंडी के काम पर लगा दे जिससे  कमाई होने लगे।

मैं अब पहली बार रागिनी से उसके घर के बारे में पूछा तो वो बोली, "अब तो सिर्फ़ मौसी हीं हैं.  छः महिने हुए माँ कैंसर से मर गई। मेरे बाप ने मुझे और उनको पहले हीं निकाल दिया था, क्योंकि माँ की बीमारी लाईलाज थी और उसमें वो पैसा नहीं खर्च करना चाहते थे। मेरे रिश्तेदारों ने हम दोनों से कोई खास संपर्क नहीं रखा, और मेरी माँ भी यहीं अल्मोड़ा में हीं मरी।" आज पहली बार रागिनी के बारे में जान कर मुझे सच में दुख हुआ। मेरे चेहरे से रागिनी को भी मेरे दुख का आभास हुआ सो वो मूड बदलने के लिए बोली, "अब छोड़िए भी यह सब अंकल, और बताईए, मेरे साथ हनीमून आज कैसे मनाईएगा?"

मैंने भी अपना मूड बदला, "अब हनीमून तो मुझे एक हीं तरह से मनाने आता है, लन्ड को बूर में पेल कर हिला हिला कर लड़की चोद दी, हो गया अपना हनीमून।"

रागिनी बोली, "अंकल, आप एक बार मेरी मौसी को चोद कर उनको कुछ पैसे दे दीजिए न। चौधरी तो फ़्री में उनको चोदता रहा है।"

मैं आश्चर्य से उसको देखा, "तुम्हें पता है कि तुम क्या कह रही हो? जवान रीना को क्यों न चोदूँ जो उसकी बुढ़िया माँ को चोदूँ?"

रागिनी हँसी, "पक्के हरामी हैं आप अंकल सच में...अरे रीना तो साथ में चल रही है। मौसी वैसी नहीं है जैसी आप सोंच रहे हैं। 35 साल से भी कम उमर होगी। 16  साल की उमर में तो वो माँ बन गई थी। खुब छरहरे  बदन की है, आपको पसन्द आएगी। मैंने उनको समझा दिया है कि मैं अपने अंकल को बुला रही हूँ, अगर खुब अच्छे से उनका खातिर हुआ तो वो रीना को जल्दी नौकरी लगवा देंगे।"

मैंने भी सोचा कि क्या हर्ज है, आराम से यहाँ माँ चोद लेता हूँ, फ़िर लौट कर बेटी की सील तोड़ूँगा। और फ़िर इस माँ को चोदने का एक और फ़ायदा था कि यहाँ एक के बाद एक करके तीन सीलबन्द बूर अगर भगवान ने मदद की तो मुझे खुलने को मिल जाने वाली थी। मैंने भी सोंच लिया कि इस मौसी को तो ऐसे चोदना है कि वो आज तक की सारी चुदाई भूल कर बस मेरी चुदाई हीं याद रखे।

दिन में हल्का से एक बार और नास्ता जैसा हीं खा कर हम दोनों बस में बैठ कर गाँव की तरफ़ चल दिए।करीब 6.30 बजे हम जब रागिनी के मौसी के घर पहुँचे तो पहाड़ों में रात उतरने लगी थी। हल्के अंधेरे और लालटेन की रौशनी में हमारा परिचय हुआ। रागिनी ने मुझे अपनी मौसी बिन्दा और उनकी तीनों बेटियों रीना, रूबी और रीता से मिलाया। दो कमरे का छॊटा सा घर था वो। मेरे लिए चिकेन और रोटी बना हुआ था। कुछ देर इधर-उधर की बातों के बाद हमने खाना खाया।

रागिनी ने मौसी से कहा, "आज मैं अंकल के साथ हीं सो जाती हूँ, तुम लोग दूसरे कमरे में सो जाना।"

सबसे छॊटी बेटी रीता ने कहा, "हम आपके पैर दबा दें अंकल?" 

मौसी बोली, "नहीं बेटी, दीदी है न... वो अंकल को आराम से सुला देगी। तुम चिन्ता मत करो। ले जाओ रागिनी अपने अंकल को...आराम दो उनको.  थके  होंगे।"

रागिनी मेरे साथ एक कमरे में चल दी। अन्दर जाते ही हम दोनों निवस्त्र हो गए. उस रात रागिनी ने मुझे कुछ करने नहीं दिया। आराम से मुझे लिटा दी और खुद हीं मेरा लन्ड चूसी, उसको खड़ा की। फ़िर मेरे उपर चढ़ कर अपने चूत में मेरा लन्ड अपने हाथ से पकड़ कर घुसाई और फ़िर उपर से खुब हुमच हुमच कर चोदी। जल्दी हीं वो भी गर्म हो गई और आह आह आह, उउह उउह उउउह करने लगी। बिना इस चिन्ता के कि बाहर अभी सब जगे हुए हैं और उसके मुँह से निकल रही आवाज वो सब सुन रहे होंगे, उसने मेरे लन्ड पर अपनी चूत को खुव नचाया, इतना कि अब तो फ़च फ़च फ़च...की आवाज होने लगी थी। वो हाँफ़ रही थी...आआह आआह आआह और मैं भी हूम्म्म हूम्म्म्म हूऊम कर रहा था। करीब 15 मिनट की हचहच फ़चफ़च के बाद मेरे भीतर का लावा छूटा...आआआअह्ह्ह और मैंने अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। रागिनी ने भी उसी समय अपना पानी छोड़ा। और फ़िर अपने सलवार से अपना चूत पोछते हुए मेरे ऊपर से उतर गई। मुझे प्यास लग गयी थी. मैंने रागिनी को पानी लाने को कहा . उसने कमरे से ही अपनी मौसी को पानी के लिए आवाज़ लगाई. और अपने आप को एवं मुझे एक चादर से ढँक लिया. उसकी मौसी बिंदा तुरंत ही पानी ले कर आयी और नजरें झुकाए खुकाए हम दोनों की अर्द्धनंगी हालत को देखते हुए पानी का जग टेबल पर रख चली गयी. मैंने तीन गिलास पानी पीया. मैं सच में थक गया था, सो करवट बदल कर सो गया।

अगले दिन खाना खाने के बाद करीब 12 बजे रागिनी और उसकी मौसेरी बहनें मुझे आस-पास की पहाड़ी पर घुमाने ले गई। हिमालय अपने सुन्दर लहजे में अपना सारा सौन्दर्य बिखेरे था। एकांत देख कर रागिनी ने मुझे बता दिया कि आज रात में बिन्दा मेरे साथ सोएगी, मुझे उसको चोद कर सब सेट कर लेना है, वैसे वो सब पहले से सेट कर चुकी थी। करीब 5 बजे हम घर लौटे, तो उसकी मौसी बिन्दा हम सब के लिए खाना बना चुकी थी। खाना-वाना खाने के बाद हम सब पास में बैठ कर इधर-उधर की गप्पें करने लगे। पहाड़ी गाँव में लोग जल्दी सो जाते थे सो करीब आठ बजे तक पूरा सन्नाटा हो गया, तो रागिनी बोली, "मौसी, अंकल थक गए होंगे सो तुम उनके पैरों में थोड़ा तेल मालिश कर देना, मैं रीना के साथ उसके बिस्तर पर सो जाऊँगी।" इशारा साफ़ था कि आज मुझे बिन्दा को चोदना था।

बिन्दा मुझे देख कर मुस्कुराई और तेल की डिब्बी ले कर मुझे कमरे में चलने का इशारा की। पाँच चूतवालियों से घिरा मैं अपने किस्मत को सराहता हुआ बिन्दा के पीछे चल दिया और फ़िर कमरे के किवाड़ को खुला ही रहने दिया तथा सिर्फ उसके परदे फैला दिए. उस कमरे के बरामदे पर ही चारपायी पर उसकी सभी बेटियां और रागिनी लेटी हुई थी. बिन्दा तब तक अपने बदन से साड़ी उतार चुकी थी और भूरे रंग के साया और सफ़ेद ब्लाऊज में मेरा इंतजार कर रही थी। मैं उसे देख कर मुस्कुराया और अपने कपड़े खोलने लगा। वो मुझे देख रही थी और मैं अपने सब कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो गया। मेरा लन्ड अभी ढ़ीला था पर अभी भी उसका आकार करीब 6" था। बिन्दा की नजर मेरे लटके हुए लन्ड पर अटकी हुई थी।

मैंने उसके चेहरे को देखते हुए, अपने हाथ से अपना लन्ड हिलाते हुए जोर से कहा, "फ़िक्र मत करो, अभी तैयार हो जाएगा...आओ चूसो इसको।"

मेरे हिलाने से मेरे लन्ड में तनाव आना शुरु हो गया था और मेरा सुपाड़ा अब अपनी झलक दिखाने लगा था। बिन्दा ने आगे बढ़ कर बिना किसी हिचक या शर्मिंदगी के मेरे लन्ड को अपने हाथों में पकड़ा और सहलाई। मादा के हाथ में जादू होता है, सो मेरा लन्ड बिन्दा के हाथ के स्पर्श से हीं अपना आकार ले लिया।बिन्दा ने मुझे बिस्तर पर लिटा कर लन्ड अपने मुँह में भर लिया। 

5-8 बार अंदर-बाहर करके बिन्दा बोली-  आप सीधा आराम से लेटिए,  मैं तेल लगा देती हूँ।

मैंने उसे बाहों में भर कर अपने ऊपर खींच लिया और बोला, "कोई परेशानी की बात नहीं है। मेरी सब थकान खत्म हो जाएगी जब तुम्हारी जैसी मस्त माल की चूत मेरे लन्ड की मालिश करेगी।" मुझे पता था की हम दोनों की एक - एक आवाज खुले किवाड़ के द्वारा उन बेटियों के काम में स्पष्ट सुनाई पड़ रहे होंगे.


मैंने बिन्दा के होठों से अपने होठ सटा दिए और वो भी चुमने में मुझे सहयोग करने लगी। मैंने उसके ब्लाऊज और पेटीकोट खोल दिए तो उसने खुद से अपने को उन कपड़ों से आजाद कर लिया।

मैंने बिन्दा को अपने से थोड़ा अलग करते हुए कहा, "देखूँ तो कैसी दिखती है मेरी जान..."।

बिन्दा मेरे इस अंदाज पर फ़िदा हो गई, उसके गाल लाल हो गए। बिन्दा अपने उमर से करीब 5 साल छोटी दिख रही थी दुबली होने की वजह से। वैसे भी उसकी उमर 35 के करीब थी। रंग साफ़ था, चुचियाँ थोड़ी लटकी थीं, पर साईज में छॊटी होने की वजह से मस्त दिख रही थीं। सपाट पेट, गहरी नाभी और उसके नीचे कालें घने झाँटों से घिरी चूत की गुलाबी फ़ाँक। काँख में भी उसको खुब सारे बाल थे। मैंने धीरे-धीरे उसके पूरे बदन पर हाथ घुमाने शुरु किए और उसमें गर्मी आने लगी। जल्द हीं उसका बदन चुदास से भर गया और तब मैंने उसकी चूचियों और चूत पर हमला बोल दिया, अपने हाथों और मुँह से। उसकी सिसकी पूरे कमरे में गुजने लगी। करीब आधा घन्टा में वो बेदम हो गई तो मैंने उसको सीधा लिटा कर उसके पैरों को फ़ैला कर ऊपर उठा दिया और बिना कोई भूमिका बाँधे, एक हीं धक्के में अपने लन्ड को पूरा उसकी चूत में घुसा दिया।
मुझे पता था कि मेरा लन्ड उसकी झाँटॊं को भी भीतर दबा रहा है। मैं चाहता भी यही था, सो मैंने लन्ड को कुछ इस तरह से आगे-पीछे करके घुसाया कि ज्यादा से ज्यादा झाँट मेरे लन्ड से दबे और वो झाँटों के खींचने से दर्द महसूस करे। 
वही हुआ भी...बिन्दा  तो चीख हीं उठी थी, "ओह्ह्ह्ह्ह्ह मेरा बाल खींच रहा है साहब जी"।

मैंने भी कहा, "तो मैं क्या करूँ, तुम्हारा झाँट हीं ऐसा शानदार है कि मत पूछो," 

वो अब अपना हाथ अपनी चुद रही चूत के आस-पास घुमा कर अपने झाँटों को मेरे लन्ड से थोड़ा दूर की, और फ़िर बोली, "हाँ अब चोदिए, खुब चोदिए मुझे.....आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह"।

मैंने अब उसकी जबर्दस्त चुदाई शुरु कर दी थी। वो भी गाँड़ उछाल-उछाल कर ताल मिला रही थी और मैं तो उसकी चुचियों को जोर-जोर से मसल मसल कर चुदाई किए जा रहा था। ये सोच कर की बाहर उसकी बेटियाँ अपनी माँ की चुदाई की आवाज सुन रही हैं मेरा लन्ड और टनटना गया था और जोरदार धक्के लगा रहा था। वो झड़ गई थी, थोड़ा शान्त हुई थी, पर मैं कहाँ रुकने वाला था। मैंने उसको पलटा और जब तक वो कुछ समझे मैंने पीछे से उसके चूत में लन्ड पेल दिया। वो थक कर निढ़ाल हो गई थी तो मैं झड़ा उसकी चूत के भीतर। पर मेरा लन्ड कब एक बार झड़ने से शान्त हुआ है जो आज होता।

मैंने बिन्दा से कहा, कि वो अब आराम से पोजीशन ले ले, मैं उसकी गाँड़ मारुँगा। वो शाय्द थकान की वजह से ऐसा चाह नहीं रही थी, पर मैंने उसको तकिया पकड़ा दिया तो वो समझ गई में नहीं रुकने वाला। सो वो भी तकिये पर सिर टिका कर अपने घुटने थोड़ा फ़ैला हर सही से बिस्तर पर पलट गई। मैं उसके पीछे थोड़ा खड़ा हो गया और फ़िर उसकी गाँड़ पर ढ़ेर सारा थुक लगा कर अपना लन्ड छेद से भिड़ा दिया। लेकिन वो जोर से कराह उठी.

बोली - आह..रुकिए साहब जी आपका लंड बहुत मोटा है. मेरी गांड में वेसलिन लगा दीजिये तब मेरी गांड मारिये.

मैंने कहा - कहाँ है वेसलिन?

उसने आलमारी में से वेसलिन निकाल मुझे दिया. मैंने ढेर साड़ी वेसलिन उसके गांड के छेद में डाला फिर अपना लंड उसके गांड में घुसाया. थोड़ी मेहनत करनी पड़ी, पर वो दर्द सह कर अपने गाँड़ में मेरा लन्ड घुसवा ली। मैं भी मस्त हो कर अब उसकी गाँड़ मारने लगा। शुरु में दर्द की वजह से वो कराह रही थी, पर जल्द हीं उसको भी मजा मिलने लगा और फ़िर आह्ह्ह्ह आअह्ह आअह्ह ऊऊह्ह्ह्ह उउउम्म्म जैसे सेक्सी बोल कमरे में गुँजने लगे। इस बार थोड़ा थकान मुझे भी लगने लगा था, शायद दिन भर का घुमना अब हावी  हो रहा था, सो मैं भी तेजी में धक्के पर धक्के लगाए और जल्द हीं बिन्दा की गाँड़ अपने लन्ड के रस से भर दिया। वो तो कब की थक कर निढ़ाल थी। अब हम दोनों में से कोई हिलने की हालत में नहीं था सो हम दोनों ऐसे हीं नंगे सो गए। बिन्दा ने तो अपने चूत और गाँड़ को साफ़ करना भी मुनासिब नहीं समझा।

अगली सुबह मैं जरा देर से तब उठा जब बिंदा मुझे चाय देने आयी. उस समय तक मै नंगा ही था. मैंने तौलिये को अपने कमर पर लपेटा .तब तक सब चाय पी चुके थे। मैं जब बाहर आया तो देखा कि खुब साफ़ और तेज धूप निकली हुई है। पहाड़ों में वैसे भी धूप की चमक कुछ ज्यादा होती है। रागिनी और उसकी मौसी आंगन में बैठ कर सब्जी काट रहे थे, बड़ी रीना सामने चौके में कुछ कर रही थी। रूबी नहा चुकी थी और वो धूले कपड़ों को सुखने के लिए तार पर डाल रही थी। आंगन के एक कोने में सबसे छोटी बहन रीता नहा रही थी। सब कपड़े उतार कर, बस एक जंघिया था उसके बदन पर। मुझे लग गया कि घर में कोई मर्द तो रहता नहीं था, सो इन्हें इस तरह खुली धूप में नहाने की आदत सी थी। मुश्किल यह थी कि मैं जोरों से पेशाब महसूस कर रहा था, और इसके लिए मुझे उसी तरह जाना होता जिधर रीता नहा रही थी। वो एक तरह से बाथरूम मे सामने हीं बैठी थी। तभी मौसी चौके की तरफ़ गई तो मैंने अपनी परेशानी रागिनी को बताई। 
उसने कहा, "तो कोई बात नहीं, आप चले जाइए बाथरूम में..."। 
मैं थोड़ा हिचक कर बोला-"पर रीता?" 
अब वो मुस्कुराते हुए बोली, "आपको कब से लड़की से लज लगने लगा" और उसने आँख मार दी। 
मेरे लिए वैसे भी पेशाब को रोकना मुश्किल हो रहा था सो निकल गया। एक नजर रीता के बदन पर डाली और बाथरूम में पेशाब करने लगा। पेशाब करने के बाद मैं बाहर जहाँ रीता नहा रही थी वहाँ पहुँच गया, अपना हाथ-मुँह, चेहरा धोने। रीता भी समझ गई कि मैं हाथ-मुँह धोना चाह रहा हूँ। उसने बाल्टी-मग मेरी तरफ़ बढ़ा दिया और खुद अपने हाथों से अपना बदन रगड़ने लगी। अपना चेहरा और हाथ-मुँह धोते हुए अब मैं रीता को घुरने लगा। खुब गोरी झक्क सफ़ेद चमड़ी, हल्का उभार ले रही छाती जिसका फ़ूला हुआ भाग मोटे तौर पर अभी भी चुचक हीं था, अभी रीता की छाती को चूची बनने में समय लगना था। पतली-पतली चिकनी टाँग पर सुनहरे रोंएँ। मेरी नजर बरबस हीं उसके टाँगों के बीच चली गई, पर वहाँ तो एक बैंगनी रंग का जांघिया था, ब्लूमर की तरह का जो असल चीज के साथ-साथ कुछ ज्यादा क्षेत्र को ढ़ंके हुए था। मेरे दिमाग में आया, "काश इस लड़की ने अभी जी-स्ट्रींग पहनी होती..." और तभी रीता अपने दोनों बाहों को उपर करके अपने गले के पीछे के हिस्से को रगड़ने लगी। इस तरह से उसकी छाती थोड़ी उपर खींच गई और तब मुझे लगा कि हाँ यह भी एक लड़की है, बच्ची नहीं रही अब। इस तरह से हाथ ऊपर करने के बाद उसकी छाती थोड़ा फ़ूली और अपने आकार से बताने लगी कि अब वो चूची बनने लगी है। मेरी नजर उसकी काँख पर गड़ गई। वहाँ के रोंएँ अब बाल बनने लगे थे। बाएँ काँख में तो फ़िर भी कुछ रोंआँ हीं था, बस चार-पाँच हीं अभी काले बाल बने थे, पर दाहिने काँख में लगभग सब रोआँ काला बाल बन चुका था। अब वहाँ काला बालों का एक गुच्छा बन गया था, पर अभी उसको ठीक से उनको मुरना और हल्का घुंघराला होना बाकी था, जैसा कि आम तौर पर जवान लड़कियों में होता है। रीता के काँख में निकले ऐसे बालों को देख कर मैं कल्पना करने लगा कि उसकी बूर पर किस तरह का और कैसा बाल होगा। अब तक वो भी अपना बदन रगड़ चुकी थी सो उसको बाल्टी कि जरूरत थी, और मेरे लिए भी अब वहाँ रूकने का कोई बहाना नहीं था।अब तक रीना दोबारा  चाय बना चुकी थी, और दुबारा से सब लोग चाय ले कर बीच आंगन में बिछे चटाईओं पर बैठ गए थे।

रागिनी ने अब पूछा, "कब तक आपको छुट्टी है?"

मैंने पूछा, "क्यों...?"

तो वो बोली, "असल में रीना को तो हमलोग के साथ हीं चलना है तो उसको अपना सामान भी ठीक करना होगा न...दो-तीन दिन तो अभी है कि नहीं?"

मैंने कहा, "अभी तीसरा दिन है, और मैंने एक सप्ताह की छुट्टी ली हुई है, सो अभी तो समय है।"

अब बिन्दा (रागिनी की मौसी) बोली, "रीना कर तो लेगी यह सब तुम्हारा वाला काम....कहीं बेचारी को परेशानी तो न होगी?"

रागिनी ने उनको भरोसा दिलाया, "तुम फ़िक्र मत करो मौसी, जब पैसा जिलने लगेगा तो सब करने लगेगी। मैं भी शुरु-शुरु में हिचकी थी। पहले एक-दो बार तो बहुत खराब लगा फ़िर अंकल से भेंट हुई और जिस प्यार और इज्जत के साथ अंकल ने मेरे साथ सेक्स किया कि फ़िर सारा डर चला गया और उसके बाद तो मैं इसी में रम गई। अंकल का साथ मुझे बहुत बल देता है, लगता है कि इस नए जगह में भी कोई अपना है। कल तुमने भी देखा न अंकल का सेक्स का अंदाज़? कोई तकलीफ हुई क्या तुझे? "

बिंदा ने थोडा मुस्कुरा कर अपना सर निचे झुकाया और कहा - नहीं री. तेरे अंकल तो सच में बहुत प्यार से सेक्स करते हैं.

मुझे अपने पर रागिनी का ऐसा भरोसा जान कर अच्छा लगा और उस पर खुब सारा प्यार आया, मेरे मुँह से बरबस निकल गया, "तुम हो हीं इतनी प्यारी बच्ची...." और मैंने उसका हाथ पकड़ कर चुम लिया।

रागिनी ने अब एक नई बात कह दी - "मौसी मेरे ख्याल से रीना को आज रात में अंकल के साथ सो लेने दो। अंकल इतने प्यार से इसको भी करेंगे कि उसका सारा भय निकल जाएगा।"

मुझे  इस बात की उम्मीद नहीं की थी। मैं अब बिन्दा के रीएक्शन के इंतजार में था। रीना पास बैठ कर सिर नीचे करके सब सुन रही थी। 

बिन्दा थोड़ा सोच कर बोली, "कह तो तुम ठीक रही हो बेटा, पर यहाँ घर पर...फ़िर रीना की छोटी बहनें भी तो हैं घर में....इसीलिए मैं सोच रही थी कि अगर रीना तुम लोग के साथ चली जाती और फ़िर उसके साथ वहीं यह सब होता तो..."।

मुझे लगा कि ऐसा शानदार मौका हाथ से जा रहा है सो मैं अब बोला, "आप बेकार की बात सब सोच रही हो बिन्दा. मेरे हिसाब से रागिनी ठीक कह रही है, अगर रीना अपने घर पर अपने लोगों के बीच रहते हुए पहली बार यहीं चुद ले  तो ज्यादा अच्छा होगा। अगर उसको बुरा लगा तो यहाँ आप तो हैं जिससे वह सब साफ़-साफ़ कह सकेगी, नहीं तो वहाँ जाने के बाद तो उसको बुरा लगे या अच्छा, उसको तो वहाँ चुदना हीं पड़ेगा।"

जब मैं यह सब कह रहा था तब तक रूबी और रीता भी वहीं आ गईं और इसी लिए जान बूझ कर मैंने चुदाई शब्द का प्रयोग अपने बात में किया था। रागिनी भी बोली, "हाँ मौसी अंकल बहुत सही बात कह रहे हैं, वहाँ जाने के बाद रीना की मर्जी तो खत्म हीं हो जाएगी। वैसे भी पिछले कई दिनों  में रूबी और रीता को क्या समझ में नहीं आया होगा कि चौधरी और उसका मुंशी तेरे साथ रात रात भर कमरे में रह कर क्या करता है? एक एक आह की आवाज स्पष्ट सुनाई देती है बाहर में. क्यों रीई रूबी और गीता, क्या तुम नहीं जानती कि  रात में मैं या तेरी माँ अंकल से साथ क्यों सोते हैं ?

रूबी शर्मा गई और हाँ में सर ऊपर नीचे  हिलाया. 

मैं बोला, "मेरे ख्याल से तो रात से बेहतर होगा कि रीना अभी हीं नहाने से पहले आधा-एक घन्टा मेरे साथ कमरे में चली चले, चुदाई कर के उसके  बाद नहा धो ले...उसको भी अच्छा लगेगा। रात में अगर चुदेगी तो फ़िर सारी रात वैसे हीं सोना होगा।"

बिन्दा के चेहरे से लग गया कि अब वो कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है और सब कुछ रागिनी पर छोड़ दी है।  
बिन्दा ने अपनी छोटी बेटी तो हल्के से झिड़का, "तू यहाँ बैठ कर क्या सुन रही है सब बात...जाओ जा कर सब के लिए एक बार फ़िर चाय बनाओ।"
रीता जाना नहीं चाहती थी सो मुँह बिचकाते हुए उठ गई। 
मैंने उसको छेड़ दिया, "अरे थोड़े हीं दिन की बात है, तुम्हारा भी समय आएगा बेबी... तब जी भर कर चुदवाना। अभी चाय बना कर लाओ।" 
वो अब शर्माते हुए वहाँ से खिसक ली। चलो अच्छा है दो-दो कप चाय मुझे ठीक से जगा देगा। साँढ़ जब जगेगा तभी तो बछिया को गाय बनाएगा।" 
मेरी इस बात पर रागिनी ने व्यंग्य किया, "साँड़.....ठीक है पर बुढ़्ढ़ा साँड़" और खिल्खिला कर हँस दी। 
मैंभी कहाँ चुकने वाला था सो बोला, "अरे तुमको क्या पता....नया-नया जवान साँढ़ सब तो बछिया की नई बूर देख कर हीं टनटना जाता है और पेलने लगता है, मेरे जैसा बुढ़्ढ़ा साँढ़ हीं न बछिया को भी मजा देगा। बाछिया की नई-नवेली चूत को सुँघेगा, चुमेगा, चुसेगा, चाटेगा, चुभलाएगा....इतना बछिया को गरम करेगा कि चूत अपने हीं पानी से गीली हो जाएगी, तब जा कर इस साँढ़ का लन्ड टनटनाएगा...."

अब रूबी बोल पोड़ी, "छी छी, कितना गन्दा बोल रहे हैं आप...अब चुप रहिए।"

मैंने उसके गाल सहला दिए और कहा, "अरे मेरी जान....यह सब तो घर पर बीवी को भी सुनना पड़ता है और तुम्हारी दीदी को तो रंडी बनने जाना हैं शहर। मैंने तो कुछ भी नहीं बोला है.....वहाँ तो लोग रंडी को कैसे पेलते हैं रागिनी से पूछो।"

रागिनी भी बोली, "हाँ मौसी, अब यह सब तो सुनने का आदत डालना होगा, और साथ में बोलना भी होगा"।

रीना का गाल लाल हुआ था, बोली, "मैं यह सब नहीं बोलुँगी..."।

मैंने उसकी चुची सहला दी वहीं सब के सामने, वो चौंक गई। मैं हँसते हुए बोला, "अभी चलो न भीतर एक बार जब लन्ड तुम्हारी बूर को चोदना शुरु करेगा तो अपने आप सब बोलने लगोगी, ऐसा बोलोगी कि तुम्हारे इस रूबी देवी जी का गाँड़ फ़ट जाएगा सब सुन कर।"

रीता अब चाय ले आई, तो मैंने कहा, "वैसे रूबी तुम भी चाहो तो चुदवा सकती हो...बच्ची तो अब रीता भी नहीं है। 14 साल की दो-तीन लड़की तो मैं हीं चोद चुका हूँ, और वो भी करीब-करीब इतने की हीं है।"

रीता सब सुन रही थी बोली, "अभी 14 नहीं पूरा हुआ है, करीब पाँच महीना बाकी है।" 
मैं अब रंग में था, "ओए कोई बात नहीं एक बार जब झाँट हो गया तो फ़िर लड़की को चुदाने में कोई परेशानी नहीं होती। मैं तुम्हारे काँख में बाल देख चुका हूँ, सो झाँट तो पक्का निकल गया होगा अब तक तुम्हारी बूर पर..." रीता को लगा कि मैं उसकी बड़ाई कर रहा हूँ सो वो भी चट से बोली-"हाँ, हल्का-हल्का होने लगा है, पर दीदी सब की तरह नहीं है"।

बिन्दा ने उसको चुप रहने को कहा, तो मैंने उसको शह दी और कहा, "अरे बिन्दा जी, अब यह सब बोलने दीजिए। जितनी कम उमर में यह सब बोलना सीखेगी उतना हीं कम हिचक होगा वर्ना बड़ी हो जाने पर ऐसे बेशर्मों की तरह बोलना सीखना होता है। अभी देखा न रीना को, किस तरह बेलाग हो कर बोल दी कि मैं नहीं बोलुँगी ऐसे...।" सब हँसने लगे और रीना झेंप गई, तो मैंने कहा-"अभी चलो न बिस्तर पर रीना, उसके बाद तो तुम सब बोलोगी। ऐसा बेचैन करके रख दुँगा कि बार-बार चिल्ला कर कहना पड़ेगा मुझसे"।

उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया और मेरे तरह तिरछी नजर से देखते हुए पूछा-"क्या कहना पड़ेगा?"

मैंने उसको छेड़ा और लड़कियों की तरह आवाज पतली करके बोला, "आओ न, चोदो न मुझे....जल्दी से चोदो न मेरी चूत अपने लन्ड से"।

मेरे इस अभिनय पर सब लोग हँसने लगे। मैं अपने हाथ को लन्ड पर तौलिये  के ऊपर  से हीं फ़ेरने लगा था। लन्ड भी एक कुँआरी चूत की आस में ठनकना शुरु कर दिया था।मैंने वहीं सब के सामने अपना लन्ड बाहर निकाल लिया और उसकी आगे की चमड़ी पीछे करके लाल सुपाड़ा बहर निकाल कर उसको अपने अँगुठे से पोछा। मुझे पता था कि अब अगर मेरा अँगुठा सुँघा गया तो लन्ड की नशीली गन्ध से वस्ता होगा, सो मैंने अपने अँगुठे को रीना की नाक के पास ले गया-"सुँघ के देखो इसकी खुश्बू"।

मैं देख रहा था कि रागिनी के अलावे बाकी सब मेरे लन्ड को हीं देख रहे थे।

रीना हल्के से बिदकी-"छी: मैं नहीं सुँघुगी।"

रीता तड़ाक से बोली, "मुझे सुँघाईए न देखूँ कैसा महक है।"

मैंने अपना हाथ उसकी तरफ़ कर दिया, जबकि बिन्दा ने हँसते हुए मुझे लन्ड को ढ़्कने को कहा। मैं अब फ़िर से लन्ड को भीतर कर चुका था और रीता मेरे हाथ को सुँघी और बिना कुछ समझे बोली, "कहाँ कुछ खास लग रहा है...?"

अब रुबी भी बोली-"अरे  सब ऐसे हीं बोल रहे हैं तुमको बेवकूफ़ बनाने के लिए और तू है कि बनते जा रही है।"

मैंने अब रूबी को लक्ष्य करके कहा, "सीधा लन्ड हीं सुँघना चाहोगी"। 

वो जरा जानकार बनते हुए बोली-"आप, बस दीदी तक हीं रहिए....मेरी फ़िक्र मत कीजिए, मुझे इस सब बात में कोई दिल्चस्पी नहीं है।"

रीता तड़ से बोली-"पर मुझे तो इसमें खुब दिलचस्पी है...।

अब बिन्दा बोली, "ले जाइए न अब रीना को भीतर....बेकार देर हो रहा है।"

मैंने भी उठते हुए रूबी को कहा, "दिलचस्पी न हो तो भी चुदना तो होगा हीं, हर लड़की की चूत का यही होता है- आज चुदो या कल पर यह तय है।"

और मैंने खड़ा हो कर रीना को साथ आने का ईशारा किया। रीना थोड़ा हिचक रही थी, तो रागिनी ने उसको हिम्मत दी-"जाओ रीना डरो मत....अभी अंकल ने कहा न कि हर लड़की की यही किस्मत है कि वो जवान हो कर जरुर चुदेगी...सो बेहिचक जाओ। मुझे तो अनजान शहर में अकेले पहली बार मर्द के साथ सोना पड़ा था, तुम तो लक्की हो कि अपने हीं घर में अपने लोगों के बीच रहते हुए पहली बार चुदोगी.. जाओ उठो...।"

रीना को पास और कोई रास्ता  तो था नहीं सो वो उठ गई और मैंने उसको बाहों में ले कर वहीं उसके होठ चुमने लगा। तब बिन्दा मुझे रोकी, "यहाँ नहीं, अलग ले जाइए....यहाँ सब के सामने उसको खराब लगेगा।"

मैंने हँसते हुए अब उसको बाहों में उठा लिया और कमरे की तरफ़ जाते हुए कहा, "पर इसको तो अब सब लाज-शर्म यहीं इसी घर में छोड़ कर जाना होगा मेरे साथ...अगर पैसा कमाना है तो..." और मैं उसको बिस्तर पर ले आया। इसके बाद मैंने रीना को प्यार से चुमना शुरु किया। वो अभी तक अकबकाई हुई सी थी। मैं उसको सहज करने की कोशिश में था।

मैंने उसको चुमते के साथ-साथ समझाना भी शुरु किया - "देखो रीना, तुम बिल्कुल भी परेशान न हो. मैं बहुत अच्छे से तुमको तैयार करने के बाद हीं चोदुँगा. तुम आराम से मेरे साथ सहयोग करो. अब जब घर पर हीं परमीशन मिल गई है तो मजे लो. मेरा इरादा तो था कि मैं तुमको शहर ले जाता फ़िर वहाँ सब कुछ दिखा समझा कर चोदता. पर यहाँ तो तुमको ब्लू-फ़िल्म भी नहीं दिखा सकता. फ़िर भी तुम आराम से सहयोग करो तो तुम्हारी जवानी खुद तुमको गाईड करती रहेगी.। लगतार पुचकारते हुए मैं उसको चुम रहा था। 

रीना अब थोड़ा सहज होने लगी थी, सो धीमी आवाज में पूछी, "बहुत दर्द होगा न जब आप करेंगे मुझे?"

मैंने उसको समझाते हुए कहा, "ऐसा जरुरी नहीं है, अगर तुम खुब गीली हो जाओगी तो ज्यादा दर्द नहीं करेगा। वैसे भी जो भी दर्द होना है बस आज और अभी हीं पहली बार होगा, फ़िर उसके बाद तो सिर्फ़ मस्ती चढ़ेगी तुम पर. फ़िर खुब चुदाना।"

अब वो बोली, "और अगर बच्चा रह गया तो...?"

मैंने उसको दिलासा दिया, "नहीं रहेगा, अब सब का उपाय है....निश्चिंत हो कर चुदो अब..." और मैंने उसके कपड़े खोलने लगा।

मैं उसके बदन से उसकी कुर्ती उतारना चाह रहा था जब वो बोली, "इसको खोलना जरुरी है क्या.सिर्फ़ सलवार खोल कर नहीं हो जाएगा?"

मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया...अब शर्म छोड़ों और अपना बदन दिखाओ. एक जवान नंगी लड़की से ज्यादा सुन्दर चीज मर्दों के लिए और कुछ नहीं है दुनिया में" और मैंने उसकी कुर्ती उतार दी। एक सफ़ेद पुरानी ब्रा से दबी चुची अब मेरे सामने थी। मैंने ब्रा के ऊपर से हीं उन्हें दबाया और फ़िर जल्दी से उसको खोल कर चुचियों को आजाद कर दिया। छोटे से गोरे चुचियों पर गुलाबी निप्पल गजब की दिख रही थी।

मैंने कहा, "बहुत सुन्दर चुची है तुम्हारी मेरी जान..." और मैं उसको चुसने में लग गया। 
जल्द हीं उसने अपने पहलू बदले ताकि मैं बेहतर तरीके से उसकी चूची को चूस सकूँ। मैं समझ गया कि अब लौंडिया भी जवान होने लगी है।इसके बाद मैं उसकी सलवार की डोरी को खींचा। वो थोड़ा शर्माई फ़िर मुस्कुराई, जो मेरे लिए अच्छा शगुन था। लड़की अगर पहली बार चुदाते समय ऐसे सेक्सी मुस्कान दे तो मेरा जोश दूना हो जाता है। मैंने उसको पैरों से उतार दिया और उसने भी अपने कमर को ऊपर करके फ़िर टाँगें उठा कर इसमें सहयोग किया। मैंने अब उसकी जाँघो को खोला। पतली सुन्दर अनचुदी चूत की गुलाबी फ़ाँक मस्त दिख रही थी। उसके इर्द-गिर्द काले, घने, लगभग सीधे-सीधे बाल थे जो मस्त दिख रहे थे। उसकी झाँट इतनी मस्त थी कि पूछो मत। कोई तरीके से उसको शेव  करने की जरुरत नहीं थी। बाल लम्बे भी बहुत ज्यादा नहीं थे और ना हीं बहुत चौड़ाई में फ़ैले हुए थे। पहाड़ की लड़कियों को वैसे भी प्राकृतिक रूप से सुन्दर झाँट मिलता है अपने बदन पर। वैसे उसकी उमर भी बहुत नहीं थी कि बाल अभी ज्यादा फ़ैले होते। मैं अब उसकी झाँटों को हल्के-हल्के सहला रहा था और कभी-कभी उसकी भगनाशा (क्लीट) को रगड़ देता था। उसकी आँखें बन्द हो चली थी। मैं अब झुका और उसकी चूत को चूम लिया। मेरी नाक में वहाँ का पसीना, गीलेपन वाली चिकनाई और पेशाब की मिली जुली गन्ध गई। मैंने अब अपने जीभ को बाहर निकाला और पूरी चौड़ाई में फ़ैला कर उसकी चूत की फ़ाँक को पूरी तरह से चाटा। मेरी जीभ उसकी गाँड़ के छेद की तरफ़ से चूत को चाटते हुए उसकी झाँटों तक जा रही थी। जल्द हीं चूत की, पसीने और पेशाब की गन्ध के साथ मेरे थूक की गन्ध भी मेरे नाक में जाने लगी थी। रीना अब तक पूरी तरह से खुल गई थी और पूरी तरह से बेशर्म हो कर अब सहयोग कर रही थी। मैंने उसको बता दिया था कि अगर आज वो पूरी तरह से बेशर्म हो कर चुद गई तो मैं उसको रागिनी से भी ज्यादा टौप की रंडी बना दुँगा। वो भी अब सोच चुकी थी कि अब उसको इसी काम में टौप करना है सो वो भी मेरे कहे अनुसार सब करने को तैयार थी।

मैंने कहा, "रीना, अब जरा अपने जाँघ खोलो न जानू...तुम्हारी गुलाबी चूत की भीतर की पुत्ती को चाटना है।"
यह सुन कर वो आह कर उठी और बोली, "बहुत जोर की पेशाब लग रही है...इइइइस्स्स अब क्या करूँ...।"

मैं समझ गया की साली को चुदास चढ़ गई है सो मैंने कहा, "तो कर दो ना पेशाब..."

वो अकचकाई, "यहाँ....कमरे में" और जोर से अपने पैर भींची।

मैंने कहा, "हाँ मेरी रानी, तेरी रागिनी दीदी तो मेरे मुँह में भी पेशाब की हुई है, तू भी करेगी क्या मेरे मुँह में?"

मैं उसके पैर खोल कर उसकी चूत को चाटे जा रहा था। वो ताकत लगा कर मेरे चेहरे को दूर करना चाह रही थी। मैं उसको अब छोड़ने के मूड में नहीं था सो बोला, "अरे तो मूत न मेरी जान. तेरे जैसी लौन्डिया की मूत भी अमृत है रानी।"

वो अब खड़ी हो कर अपने कपड़े उठाते हुए बोली, "बस दो मिनट में आई" तो मैंने उसके मूड को देखते हुए कहा, "ऐसे हीं चली जा ना नंगी और मूत कर आजा...प्लीज आज अगर तू नंगी चली गई तो मैं तुम्हें 5000 दुँगा अभी के अभी।"

पैसे के नाम पर उसके आँख में चमक उभरी, "सच में" और फ़िर वो दरवाजे के पास जा कर जोर से बोली, "मम्मी मुझे पेशाब करने जाना है, बहुत जोर की लगी है और अंकल मुझे वैसे हीं जाने को कह रहे हैं"

रागिनी सब समझ गई सो और किसी के कहने के पहले बोली, "आ जाओ रीना, यहाँ तो सब अपने हीं हैं, और फ़िर तुम अब जिस धन्धे में जा रही हो उसमें जितना बेशर्म रहेगी उतना मजा मिलेगा और पैसा भी।"

अब मैं बोला, "बिन्दा, अपनी बाकी बेटियों को तुम संभालो अब. मैं और रीना नंगे हैं और मैं भी सोच रहा हूँ कि एक बार पेशाब कर लूँ फ़िर रीना की सील तोड़ूँ", कहते हुए मैं नंगे  हीं कमरे से बाहर आ गया और मेरे पीछे रीना भी बाहर निकल आई। मैंने उसकी कमर में अपना हाथ डाल दिया और आँगन की दूसरी तरफ़ ऐसे चला जैसे कि हम दोनों कैटवाक कर रहें हों। बिन्दा के चेहरे पर अजीब सा असमंजस था, जबकि उसकी दोनों बेटियाँ मुँह बाए हम दोनों के नंगे बदन को देख रही थी। रागिनी सब समझ कर मुस्कुरा रही थी। जल्द हीं हम दूसरी तरफ़ पहुँच गए तो मैंने रीना के सामने हीं अपने लन्ड को हाथ से पकड़ कर मूतना शुरु किया। रीना भी अब पास में बैठ कर मूतने लगी। उसकी चूत चुदास से ऐसी कस गई थी कि उसके मूतते हुए छर्र-छर्र की आवाज हो रही थी। उसका पेशाब पहले बन्द हुआ तो वो खड़ी हो कर मुझे मूतते देखने लगी।

मैं बोला, "लेगी अपने मुँह में एक धार..."।

रीना ने मुँह बिचकाया, "हुँह गन्दे...."।

अब मेरा पेशाब खत्म हो गया था। मैंने हँसते हुए अपना हाथ उसकी पेशाब से गीली चूत पर फ़िराया और फ़िर अपने हाथ में लगे उसके पेशाब को चाटते हुए बोला, "क्या स्वाद है....? इसमें तुम्हारे जवानी का रस मिला हुआ है मेरी रानी।"

यह सब देख  रीता बोली, "आप कैसे गन्दे हैं, दीदी का पेशाब चाट रहे हैं"।

मैंने अब अपना हाथ सुँघते हुए कहा, "पेशाब नहीं है, ऐसी मस्त जवान लौन्डिया की चूत से पेशाब नहीं अमृत निकलता है मेरी रानी। पास आ तो मैं तेरी चूत के भीतर भी अपनी उँगली घुसा कर तेरा रस भी चाट लुँगा।"

बिन्दा अब हड़बड़ा कर बोली, "ठीक है, ठीक है, अब आप दोनों कमरे में जाओ और भाई साहब आप अब जल्दी छोड़ लीजिये रीना को,  इसे नहाना धोना भी है फ़िर उसको मंदिर भी भेजुँगी।"

मैंने रीना की चुतड़ पर हल्के से चपत लगाई, "चल जल्दी और चुद जा जानू, तेरी माँ बहुत बेकरार है तेरी चूत फ़ड़वाने के लिए...।"

फ़िर मैंने बिन्दा से कहा, "बहुत जल्दी हो तो यहीँ पटक कर पेल दूँ साली की चूत के भीतर क्या?"

बिन्दा अब गुस्साई, "यहाँ बेशर्मी की हद कर दी...कमरे में जाइए आप दोनों.।

मैं समझ गया कि अब उसका मूड खराब हो जाएगा सो मैं चुपचाप रीना को कमरे में ले आया।इतनी देर में पेशाब कर लेने के बाद मेरा लन्ड करीब 40% ढ़ीला हो गया था। मैंने रीना को बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और फ़िर से उसकी चूत को चाटने लगा। मैं अपने हाथ से अपना लन्ड भी हिला रहा था कि वो फ़िर से टनटना जाए। देर लगते देख मैंने रीना को कहा कि वो मेरा लन्ड मुँह में ले कर जोर-जोर से चूसे।

रीना अब मुँह बना कर बोली-"नहीं, आप पेशाब करने के बाद इसको धोए नहीं थे, मैं देखी हूँ।"

मैंने उसको समझाया, "और जैसे तुमने अपनी चूत धोई थी...तुम देखी थी न कि मैं तुम्हारे चूत पर लगे पेशाब को कैसे चाट कर तेरी छॊटी बहन को दिखाया था...औरत-मर्द जब सेक्स करने को तैयार हों तो ये सब भूल-भाल कर एक दूसरे के लन्ड और चूत को पूरा इज्जत देना चाहिए। चूसो जरा तो फ़िर से जल्द कड़ा हो जाएगा। अभी इतना कड़ा नहीं है कि तुम्हारी चूत की सील तोड़ सके। अगर एक झटके में चूत की सील पूरी तरह नहीं टूटी तो तुमको हीं परेशानी होगी। इसलिए  जरुरी है कि तुम इसको पूरा कड़ा करो।"

इसके बाद मैंने पहली बार रीना को असल स्टाईल में कहा, "चल आ जा अब, नखरे मत कर नहीं तो रगड़ कर साली तेरी चूत को आज हीं भोसड़ा बना दुँगा साली रंडी मादरचोद..." और मैंने अपने ताकत का इस्तेमाल करते हुए उसका मुँह खोला और अपना लन्ड उसकी मुँह में डाल दिया।

वो अनचाहे हीं अब समझ गई कि मैं अब जोर जबर्दस्ती करने वाला हूँ। वो बेमन से चूसने लगी पर मेरा तो अब तक कड़ा हो गया था। पर मैं अपना मूड बना रहा था, उसकी मुँह में लन्ड अंदर-बाहर करते हुए कहा, "वाह मेरी जान, क्या मस्त हो कर अपना मुँह मरवा रही हो, मजा आ रहा है मेरी सोनी-मोनी..." और मैं अब उसको प्यार से पुचकार रहा था। वो भी अब थोड़ा सहज हो कर लन्ड को चुस रही थी।

थोड़ी देर में मैं बोला, "चल अब आराम से सीधा लेटॊ, अब तुमको लड़की से औरत बना देता हूँ...बिन कोई फ़िक्र के आराम से पैर फ़ैला कर लेट और अपनी चूत चुदा....और फ़िर बन जा मेरी रंडी..."।

मैंने उसको सीधा लिटा दिया और उसकी जाँघो के बीच में आ गया। मेरा लन्ड एकदम सीधा फ़नफ़नाया हुआ था और उसकी चूत में घुसने को बेकरार था। मैंने उसको आराम से अपने नीचे सेट किया और फ़िर उसकी दोनों टाँगों से अपनी टाँगे लपेट कर ऐसे फ़ँसा दिया कि वो ज्यादा हिला न सके। इसके बाद मैंने अपने दाहिने हाथ को उसके काँख के नीचे से निकाल कर उसके कंधों को जकड़ते हुए उसके ऊपर आधा लेट गया। मेरा लन्ड अब उसकी चूत के करीब सटा हुआ था। अपने बाँए हाथ से मैंने उसकी दाहिनी चुची को संभाला और इस तरह से उसके छाती को दबा कर उसको स्थिर रखने का जुगाड़ कर लिया। पक्का कर लिया कि अब साली बिल्कुल भी नहीं हिल सकेगी जब मैं उसकी चूत को फ़ाड़ूंगा। सब कुछ मन मुताबिक करने के बाद मैंने उसको कहा कि अब वो अपने हाथ से मेरे लन्ड को अपने चूत की छेद पर लगा दे। और जैसे हीं उसने मेरे लन्ड को अपनी चूत से लगाया, मैंने जोर से कहा, "अब बोली साली....कि चोदो मुझे...बोल नहीं तो साली अब तेरा बलात्कार हो जाएगा। लड़की के न्योता के बाद हीं मैं उसको चोदता हूँ...मेरा यही नियम है।"

वो भी अब चुदने को बेकरार थी सो बोली, "चोदो मुझे...."

मैं बोला, "जोर से बोल कि तेरी माँ सुने....बोल कुतिया....जल्दी बोल मदर्चोद...."

वो भी जोर से बोली, "चोदो मुझे, अब चोदो जल्दी...आह...".और उसकी आँख बन्द हो गयी।

मैंने अब अपना लन्ड उसकी चूत में पेलना शुरु कर दिया। धीरे-धीरे मेरा सुपाड़ा भीतर चला गया और इसके बान वो दर्द महसूस की। उसका चेहरा बता रहा था कि अब उसको दर्द होने लगा है। मैं उसके चेहरे पर नजर गड़ाए था और लन्ड भीतर दबाए जा रहा था। मै रुका तो उसको करार आया वो राहत महसूस की और आँख खोली।

मैं पूछा, "मजा आ रहा था?"

रीना बोली,"बहुत दर्द हुआ था...."।

मैं बोला - अभी एक बार और दर्द होगा, अबकि थोड़ा बरदास्त करना"।

मैंने अपना लन्ड हल्का सा बाहर खींचा और फ़िर एक जोर का नारा लगाया, "मेरी रीना रंडी की कुँआरी चूत की जय....रीना रंडी जिन्दाबाद...." मैंने  इतनी जोर से बोला कि बाहर तक आवाज जाए। इस नारे के साथ हीं मैंने अपना लन्ड जोर के धक्के के साथ "घचाक" पूरा भीतर पेल दिया।

रीना दर्द से बिलबिला कर चीखी, "ओ माँ....मर गई......इइइइस्स्स्स्स्स्स्स्स अरे बाप रे...अब नहीं रे....माँ...." वो सच में अपनी माँ को पुकार रही थी।" पर एक कुँआरी लड़की की पहली चुदाई के समय कभी किसी की माँ थोड़े न आती है, सो बिन्दा भी सब समझते हुए बाहर हीं रही और मैं उसकी बेटी की चूत को चोदने लगा। घचा-घच....फ़चा-फ़च....घचा-घच....फ़चा-फ़च.....। रीना अब भी कराह रही थी और मैं मस्त हो कर उसके चेहरे पर नजर गड़ाए, उसके मासूम चेहरे पर आने वाले तरह-तरह के भावों को देखते हुए उसकी चूत की जोरदार चुदाई में लग गया।

रीना के रोने कराहने से मुझे कोई फ़र्क नहीं पर रहा था। आज बहुत दिन बाद मुझे कच्ची कली मिली थी, और मेरी नजर तो अब इसके बाद की संभावनाओं पर थी। घर में रीना के बाद भी दो और कच्ची कलियाँ मौजूद थीं। मैं रीना को चोदते हुए मन हीं मन रागिनी का शुक्रिया कर रहा था जो वो मुझे यहाँ बुलाई। करीब दस मिनट की कभी धीरे तो कभी जोर के धक्कमपेल के बाद जब मैं झड़ने के करीब था तो रीना का रोना लगभग बंद हो गया था। मैं रीना को बोला की अब मैं झड़ने वाला हूँ तो वो घबड़ा कर बोली, अब बाहर कीजिए, निकालिए बाहर, खींचिए न उसको मेरे अंदर से" और वो उठने लगी।

मगर मैं एक भार फ़िर उसको अपनी जकड़ में ले चुका था। पहली बार चूद रही थी, सो मैंने भी सोंचा कि उसको मर्द के पानी को भी महसूस करा दूँ। मैं रीना की चूत को अपने पानी से भर दिया।

वो घबड़ा रही थी, बोली - "बाप रे, अब कुछ हो गया तो कितनी बदनामी होगी। मैं अब निश्चिन्त हो कर अपना लन्ड बाहर खींचा, एक फ़क की आवाज आई। रीना की चूत एकदम टाईट थी, अभी भी मेरे लन्ड को जकड़े हुए थी।

मैंने रीना को कहा की अब वो पेशाब कर ले, ताकि जो माल भीतर मैंने गिराया है उसका ज्यादा भाग बाहर निकल जाए, और पेशाब से उसकी चूत भी थोड़ा भीतर तक धुल जाए। चुदाई के खेल के बाद पेशाब करना बेहतर हैं समझ लो इस बात को", मैंने उसको समझाया।

वो अब कपड़े समेटने लगी तो मैंने कहा, "अब इस बार ऐसे बाहर जाने में क्या प्रौब्लम हैं चुदने के पहले तो नंगा बाहर जा कर मूती थी तुम?"

मैं देख रहा था कि अब वो थोड़ा शान्त हो गई थी और उसका मूड भी बेहतर हो गया था।


मेरे दुबारा पूछने पर बोली, "अब ऐसे जाने में मुझे शर्म आएगी?"

मैं पूछा, "क्यूँ भला..."।

वो सर नीचे कर के कही, "तब की बात और थी, अब मैं नई हूँ... पहले मैं लड़की थी और अब  मैं औरत हूँ तो लाज आएगी न शुरु में सब के सामने जाने में...।"

मुझे शरारत सुझी, सो मैंने सब को नाम ले ले कर आवाज लगाई, "रागिनी...बिन्दा....रूबी....रीता...सब आओ और देखो, रीना को अब तुम लोग के सामने आने में लाज लग रहा है...मेरा सब माल अपने चूत में ले कर बैठी है बेवकूफ़..., बाहर जाकर धोएगी भी नहीं" कहते हुए मैं हँसने लगा।

मेरी आवाज पर रागिनी सबसे पहले आई और रीना की चूत में से उसकी जाँघो पर बह रहे पानी देख कर मुस्कुराई, "आप अंकल इस बेचारी की कुप्पी पहली हीं बार में भर दिए, ऐसे तो कोई सुहागरात को अपनी दुल्हन को भी नहीं भरता है" और वो कपड़े से उसकी चूत साफ़ करने लगी।

रीना शर्मा तो रही थी पर चुप थी। मैं भी बोला, "अरे सुहागरात को तो लड़कों को डर  रहता है कि अगर दुल्हन पेट से रह गई तो फ़िर कैसे चुदाई होगी.... मैं तो हर बार नई सुहागरात मनाता हूँ। वैसे भी इतनी बार मैं निकालता हूँ कि मेरे वीर्य से स्पर्म तो खत्म ही हो गये होंगे, फ़िक्र मत करों, यह पेट से नहीं रहेगी।

अब तक मैंने कपड़े बदल लिए और बाहर निकल गया, कुछ समय बाद रागिनी अपने साथ रीना को ले कर बाहर आई। बिन्दा ने एक नजर रीना को देखा, और फ़िर झट से कहा, "जाओ, अब नहा-धो कर साफ़-सुथरी हो जाओ, मंदिर चलना है।"

रीना भी चुपचाप चल दी। मैंने देखा रूबी चुल्हे के पास है सो मैंने कहा एक कप और चाय पिला दो रूबी डार्लिंग , तुम्हार अहसान होगा, बहुत थक गया हूँ।"

रूबी ने मुँह बिचकाते हुए कहा, "हूँह, साँढ़ भी कहीं थकता है....।"

मैंने भी तड़ से जड़ दिया, "बछिया को चोदने में थकता है डार्लिंग ...और तुम्हारी दीदी तो लाजवाब थी... अंत-अंत तक मेरे धक्के पर कराह रही थी, ऐसी कसी हुई चूत की मालकिन है।"

इस बात को सुन कर बिन्दा फ़िक्रमंद हो गई। मेरे से पूछी, "तब अब आगे कैसे होगा, शहर में तो बेचारी अकेली रह जाएगी, घुट-घुट कर रोएगी..."।

मैंने समझाया, "अरे नहीं बिन्दा, ऐसी बात नहीं है, अभी दो-चार बार और कर दुँगा तो सही हो जाएगी, जब पुरा मुँह खुल जाएगा। असल में न उसको आप सब के प्रोत्साहन की जरुरत है। आप उसको सब करने बोल रहे हैं पर खुल कर नहीं, जब सब आपस में बेशर्मी से बात-चीत करेंगे तो उसका दिमाग भी इस सब के लिए तैयार होने लगेगा और फ़िर बदन भी तैयार हो जाएगा। ऐसे मैं तो उसको 2-3 बार में ढ़ीला कर हीं दुँगा। आप तो जान चुकी हैं कि मेरा लंड आम लोग से मोटा भी है....सो जब मेरे से बिना दर्द के चुदा लेगी तो बाजार में कुछ खास परेशानी नहीं होगी। अभी तो जितनी टाईट है, अगर मैं हीं पैसा वसूल चुदाई कर दूँ जैसा कि कस्टमर आमतौर पर रंडियों की करते हैं तो बेचारी इतना डर जाएगी कि चुदाने के नाम पर उसकी नानी मरेगी।"


रूबी चाय ले आई थी और वहीं खड़े हो कर सब सुन रही थी। मैं कह रहा था, "उसको बहुत प्यार से आराम-आराम से अपने मोटे लन्ड के चोदा हूँ आज"।

रूबी अब बोली, "आपको अपनी मुटाई पर बहुत नाज है न, खुद से अपनी बड़ाई करते रहते हैं।"

उसको शायद मैं कुछ खास पसन्द नहीं था।"

मैंने उसको जवाब दिया, "ऐसी कोई बात नहीं है, मेरे से ज्यादा सौलिड लन्ड वाले हैं दुनिया में...पर मेरा कोई खराब नहीं है बल्कि ज्यादातर मर्दों से बहुत-बहुत बेहतर है....जब तुम बाजार में उतरोगी और कुछ अनुभव मिलेगा तब समझोगी।"

अब मैं दिल में सोंच रहा था कि जब इस कुतिया की सील तोड़ने की नौबत आएगी उस दिन वियाग्रा खा कर साली को फ़ाड़ दुँगा, वैसे भी मैं इसको खास पसन्द हूँ नहीं तो बेहतर होगा कि साली का बलात्कार हीं कर दूँ। इस घर में तो अब मेरे सात खून माफ़ होंगे।

बिन्दा सब सुन कर सर हिलाई, "ठीक है, अब तो यह आपके और रागिनी के हीं भरोसे है।"

रीना अब तैयार हो कर आ गयी  तो बिन्दा, रीना और रूबी मंदिर चली गई। घर पर मेरे साथ रागिनी और रीता थीं। मैं भी अब नहाने धोने के सोच रहा था। जब मैं टट्टी के लिए गया तो रीता आंगन में नल पर नहाने लगी। मैं भी वहीं ब्रश करने लगा। सब दिन की तरह रीता आज भी सिर्फ़ एक पैन्ट में नहा रही थी। उसकी छॊती-छोटी चुचियाँ अभी तरीके से चुची बनी भी नहीं थी...एक उभार था जिसका आधा हिस्सा गुलाबी था, बड़े से एक रुपया के सिक्के जितना और उस पर एक बड़े किशमिश की साईज की निप्पल थी। आज आराम से गौर से उसकी छाती का मुआयना कर रहा था तो लगा कि कल मैंने जिसे चुचक कहा था...वह सही में अब चूची लग रहा है। यह बात अलग है कि अभी उसमें और ऊभार आना बाकी था। मैंने एक तौवेल लपेट रखा था अपनी कमर में।

रीना को चोदने के बाद से मैं ऐसे हीं टौवेल में घुम रहा था। नहाते हुए  रीता बोली, "अंकल, क्या दीदी को बहुत तकलीफ़ हुई थी?"

मैंने उससे ऐसे सवाल की अभी उम्मीद नहीं की थी सो चौंक कर कहा, "किस बात से?"

अब रीता फ़िर से पूछी, "वही जब आप दीदी को कमरे में ले जाकर उसकी चुदाई कर उसको औरत बनाए तब?"

मै बोला, "अब थोड़ा बहुत तो हर लड़की को पहली बार में परेशानी होती है कुछ खास नहीं। पर इसमें मजा इतना मिलता है लड़की को कि वो इसक काम को बार-बार करते है मर्दों के साथ। अगर सेक्स में मजा नहीं आता तो क्या इतना परिवार बनता, फ़िर बच्चे कैसे होते और दुनिया कैसे चलती...सोचों।"

रीता कुछ सोंची, सब समझी फ़िर बोली, "तब दीदी इस तरह से कराह-कराह कर रो क्यों रही थी?"

मैं अब उसको समझाया, "वो रो नहीं रही थी बेटा...ऐसी आवाज जब लड़की को मजा मिलता है तब भी मुँह से निकलता है...आह आह आह। असल में तुम कभी ब्लू-फ़िल्म तो देखी नहीं होगी सो तुमको कुछ पता नहीं है। वैसे मैंने कमरा बन्द नहीं किया हुआ था, तुम चाहती तो आ जाती देखने।"


रीता अब खड़े हो कर बदन तौलिए से पोछते हुए बोली, "जैसे माँ तो मुझे जाने हीं देती...देखते नहीं हैं जब आप लोग बात करते हैं तो कैसे मुझे किसी बहाने वहाँ से हटाने की कोशिश करती है। अभी इतना बात कर पा रही हूँ कि वो अभी 2-3 घन्टे नहीं आएगी, मंदिर से बाजार भी जाएगी"। कल मैं उसको नहाते समय जब देखा तो चूची और खाँख का बाल हीं देख पाया था और बूर पर कैसे बाल होंगे सोचता रह गया था। आज मुझे भी मौका मिल रहा था कि उसकी बूर पर निकले ताजे बालों को देखूँ।


मैंने अब उसको एक औफ़र दिया, "रीता तुम मेरा एक बात मानो तो मैं तुमको अभी सब दिखा सकता हूँ, रागिनी है न...उसको अभी तुम्हारे सामने चोद दुँगा, फ़िर तुम सब देख समझ लेना कि कैसे तुम्हारी दीदी को मैंने औरत बनाया था।"

रीता की आँख में अनोखी चमक दिखी, "क्या बात है बोलिए जरुर मानुँगी।"

मैंने मुस्कुरा कर कहा, अगर तुम मेरे सामने अपनी पैन्ट भी खोल कर अपना बदन पोंछो...तो। असल में मैं तुम्हारी बूर पर निकले बालों को देखना चाहता हूँ, कभी तुम्हारी उम्र की लड़की की बूर नहीं देखी है न आज तक।"

मैंने सब साफ़ कह दिया। वो राजी हो गई और अपना पैन्ट नीचे ससार दी, फ़िर झुक कर उसको अपने पैरों से निकाल दिया।


बिन्दा की सबसे छोटी बेटी 13 साल की रीता की नंगी बूर मेरे सामने चमक उठी। वो मेरे सामने खड़ी थी। 5 फ़ीट लम्बी दुबली पतली, गोरी चिट्टी, गोल चेहरा, काली आँखें...चेहरे से वो सुन्दर थी, पर उसका अधखिला बदन...आह अनोखा था। एक दम साफ़ गोरा बदन, छाती पर ऊभार ले रही गोलाईयाँ, जो अभी नींबू से कुछ हीं बड़ी हुई होगी जिसमें से ज्यादा तर हिस्सा भूरा-गुलाबी था जिसके बीच में एक किशमिश के दाने बराबर निप्पल, जिसको चाटा जा सकता था पर चूसने में मेहनत करनी पड़ती। अंदर की तरफ़ हल्के से दबी हुई पेट जिसके बीच में एक गोल गहरी नाभी...और मेरी नजर अप उसकी और नीचे फ़िसली। दो पतले-पतली गोरी कसी हुई टाँगे और उसकी जाँघों की मिलन-स्थली का क्या कहना, मेरी नजर वहाँ जाकर अटक गई। थोड़ी फ़ुली हुई थी वह जगह, जैसे एक डबल रोटी हो जिसको किसी पेन्सील से सीधा चीरा लगा दिया गया हो। चाकू नहीं कह रहा क्योंकि रीता की डबल रोटी इतनी टाईट थी कि तब शायद चीरा भी ठीक से न दिखता। इसीलिए पेन्सील कह रहा हूँ क्योंकि उसकी उस फ़ुली हुई डबल रोटी में चीरा दिख रहा था, लम्बा सा, करीब 4 ईंच का तो मुझे सामने खड़े हो कर दिख रहा था। मेरी पारखी नजरों ने भाँप लिया कि इसमे करीब दो ईंच का छेद होगा, वो दरवाज जो हर मर्द को स्वर्ग की सैर पर ले जाता है।उस चीरे से ठीक सटे ऊपर की तरफ़ काले बालों का एक गुच्छा सा बन रहा था। औसतन करीब आधा ईंच के बाल रहे होंगे, सब के सब एक दुसरे से सटे बहुत घने रूप से बहुत हीं कम क्षेत्र में, फ़ैलाव तो जैसे था हीं नहीं। अगर नाप बताऊँ तो 1 ईंच चौड़ाई और करीब 3 ईंच लम्बाई में हीं उगी थी अभी उसकी झाँट। इसके बाद के इलाके में जो बाल था उसको मैं झाँट भी नहीं कहुँगा...बस रोएँ थे जो भविष्य में झाँट बनने वाले थे। 


मैंने बोला, "एक बार जरा अपने हाथ से अपनी बूर को खोलो न जरा सा।" 


वो तुरन्त अपने दोनों हाथों से अपनी बूर की फ़ुली हुई होठ को फ़ैला दी। मैं भीतर का गुलाबी भाग देख कर मस्त हो गया। 

तभी वो अपना कपड़ा उठा ली, "अब चालिए न दिखा दीजिए जल्दी से रागिनी दीदी का...कहीं माँ आ गई तो बस....।" 


मेरा लन्ड वैसे भी गनगनाया हुआ था, सो मैंने रागिनी को पुकारा, "रगिनी...."। 

हम लोग के नाश्ते की तैयारी कर रही थी। वो चौके में से हीं पूछा, "क्या चाहिए...?"

मैंने कह दिया, "तेरी चूत....आओ जल्दी से।"

रागिनी अब मुस्कुराते हुए आई, "आपका मन अभी भरा नहीं अभी तो रीना को चोदे हैं।"

मैंने मक्खनबाजी की, "अरे रीना तो भविष्य  की  रन्डी है जबकि तू ओरिजनल  है...सो जो बात तुझमें है, वो और किसी में नहीं (मैंने जो बात तुझमें है तेरी तस्वीर में नहीं - गाने के राग में कहा)"।

रागिनी हँस पड़ी, "अरे अभी नास्ता-पानी कीजिए दस बज रहे हैं"

मैं अब असल बात बताया, "असल बात यह है रागिनी की रीता का मन है कि वो एक बार चुदाई देखे और बिन्दा के घर पर रहते तो यह संभव है नहीं सो...."।

अब रागिनी बिदकी, "हत...., वो अभी बच्ची है, उसकी उम्र हीं क्या है 13-14.... यह सब दिखा कर उसको क्यों  बिगाड़ रहे हैं आप?" 


और रागिनी अब रीता पर भड़की, रीता का मुँह बन गया। 


मैंने तब बात संभाली, "रागिनी, प्लीज मान जाओ...मेरा भी यही मन है। बेचारी अब ऐसी भी बच्ची थोड़े ना है, और फ़िर अब जिस माहौल  में रह रही है....यह सब तो जानना हीं होगा उसको।"

रागिनी शांत हो कर बोली, "ठीक है...पर एक उम्र होती  है इस सब की , और रीता अभी उस हिसाब से कम उम्र की है।"

मैं फ़िर से रीता की तरफ़दारी में बोला, "पर रागिनी तुमको भी पता है रीता से कम उम्र के लड़की को भी लोग चोदते हैं, यहाँ तो बेचारी को मैं सिर्फ़ दिखा रहा हूँ, अगर अभी मैं उसको चोद लूँ तो...? एक बात तो पक्का है कि वो अब तुम्हारे उमर के होने तक कुँवारी नहीं बचेगी। बिन्दा खुद हीं उसको चुदाने भेज देगी, जब रीना की कमाई समझ में आएगी। उसके पार तो दो और बेटी है। वैसे अब बहस छोड़ो मेरी बच्ची....मेरा भी मन है कि मैं उसको सेक करके देखाऊँ। तुम मेरी यह बात नहीं मानोगी मेरी बच्ची...." मेरा स्वर जरा भावुक हो गया था।

रागिनी तुरन्त मेरे से लिपट गई। आप ऐसा क्यों कहते हैं अंकल , मुझे याद है कि आप ने  मुझे पहली बार कितना ईज्जत दी  थी और मैंने प्रौमिस किया था कि आपके लिए सब करुँगी।"

फ़िर वो रीता को बोली, "आ जाओ कमरे में चलते हैं।"

कमरे में पहुँचते हीं मैंने रागिनी को बाहों में समेट कर चुमना शुरु किया और वो भी मुझे चुम रही थी। मैंने रागिनी को याद कराया कि उन सब को गए काफ़ी समय बीत गया है सो जल्दी-जल्दी कर लेते हैं, तो वो हटी और अपने कपडे  उतारने लगी। मैंने अपने टॉवेल  खोले। मैंने रीता को भी पूरी तरह नंगी होने को कहा.

वो बोली - क्यों?

मैंने कहा - चुदाई देखते समय दुसरे को भी नंगा रहना चाहिए.

बेचारी रीता ने अपने बदन पर के एकलौते वस्त्र पेंटी को उतार दिया और नंगी खडी हो गयी.

रागिने ने रीता को दिखा कर मेरा लन्ड अपने हाथ में लिया और चुसने लगी। रीता सब देख रही थी। मैंने बताया, ऐसे जब लन्ड को चूसा जाता है तो वो कड़ा हो जाता है, जिससे की लड़की की चूत में उसको घुसाने में आसानी होती है। इसके बाद मैंने रागिनी को लिटाकर उसकी क्लीट को सहलाया और फ़िर मसलने लगा। रागिनी पर मस्ती छाने लगी। मैंने रीता को बताया कि ऐसे करने से लड़की को मजा आता है, तुम अपने से भी यह कर सकती हो, जब मन करे। फ़िर मैंने रागिनी की चूत में अपनी ऊँगली घुसा कर उअको बताया कि लड़की कैसे सही तरीके से हस्तमैथुन कर सकती है। मैंने देखा की रीता की चूत से पानी निकल रहा है. यानि इसे मज़ा आ रहा है.   इसके बाद मैंने रागिनी की चूत में अपना लन्ड पेल दिया।

रागिनी के मुँह से  एक आह निकली तो मैंने कहा, "इसी  "आह आह" को न तुम बोल रही थी कि दीदी रो क्यों रही थी...देख लो जब कोई लड़की चुदती है तो उसके मुँह से आह आह और भी कुछ कुछ आवाज निकलने लगती है, जब उनको सेक्स का मजा मिलता है। तुम्हारे मुँह से भी अपने आप निकलेगा जब तुम्हें चोदुँगा।"
यह कहने के बाद मैंने ने जोरदार धक्कम्पेल शुरु कर दिया। हस-हच फ़च-फ़च की आवाज होने लगी थी और मैं अपने लन्ड को एक पिस्टन की तरह रागिनी की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था।


रीता पास में खड़ी हो कर सब देखी, और फ़िर मैं झड़ गया...रागिनी की चूत के भीतर हीं.... रागिनी भी अब शान्त हो गई थी।

मैं उठा और रीता से पूछा, "अब सीख समझ गई सब?"

उसके "जी" कहने पर मैंने कहा, "फ़िर चलो अब मुझे गुरु दक्षिणा दो.."।

रीता मुस्कुराते हुई पूछे, "कैसे...?"

मैंने मुस्कुरा कर कहा, "मेरे लन्ड को चाट कर साफ़ कर दो, बस....."।

और घोर आश्चर्य.....रीता खुशी-खुशी झुकी और मेरे लन्ड को चाटने लगी। रागिनी सब देख रही थी पर चुप थी। मैंने रीता के मुँह में अपना लन्ड घुसा दिया और फ़िर उसका सर पीचे से पकड़ कर उसकी मुँह में लन्ड अंदर-बाहर करने लगा। एक तरह  से अब मैं उस लड़की की मुँह मार रहा था और रीता भी आराम से अपना मुँह मरा रही थी। तभी बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आई। सब लोग आ गए थे।

रीता तुरन्त अपनी पेंटी ले कर  किचेन में भाग गई फ़िर वहाँ से आवाज दी, "खोल रही हूँ...रूको जरा।"

मैं दो कदम में नल पर पहुँच गया एक तौलिया को लपेट कर। रागिनी कपड़े पहनने लगी। दरवाजा खुला तो सब सामान्य था। मैं नास्ते के बाद घुमने निकल गया। मैंने रागिनी और रीता को साथ ले लिया क्योंकि रूबी और रीना पहले हीं दो घन्टे के करीब चल कर थक गए थे।


उस दिन मैंने तय किया कि अब एक बार रीना को सब के सामने चोदा जाए, और फ़िर इस जुगाड़ में मैंने रागिनी और रीता को भी अपने साथ मिला लिया। रागिनी ने मुझे इसमें सहयोग का वचन दिया।

घर लौटने के बाद मैंने दोपहर के खाने के समय कहा, "बिन्दा, अभी खाने के बाद दो घन्टे आराम करके रीना को फ़िर से चोदुँगा, अभी जाने में दो दिन है तो इस में 4-5 बार रीना को चोद कर उसको फ़िट कर देना है ताकि शहर जाकर समय न बेकार हो, और वो जल्दी से जल्दी कमाई कर सके।



रागिनी भी बोली, "हाँ अंकल, उसकी गाँड़ भी  तो मारनी है आपको, क्या पता पहला कस्टमर हीं गाँडू मिल गया तो...."।

बिन्दा चुप थी, और थोड़ा परेशान भी कि वहाँ उसकी दोनों छोटियाँ भी थीं। रीता अब बोली, "दीदी, अब तो तुम्हारे मजे रहेंगे, खुब पैसा मिलेगा तुम्हें।"

मैं बोला, "हाँ एक रात का कम से कम 5000 तो जरुर मिलेगा रीना का रेट। सप्ताह में 5 दिन भी गई तो 25000 हर सप्ताह, या क्या पता कुछ ज्यादा भी।" 

अब पहली बार रूबी कुछ प्रभावित हो कर बोली, "वाह .....5 दिन काम का महिने का 1 लाख....यह तो बेजोड़ काम है...हैं न माँ..."। 


मैंने कहा, "हाँ पर उसके लिए मर्द को खुश करने आना चाहिए, तभी इसके बाद टिप भी मिलेगा। यही सब तो रीना को अभी सीखना है शहर जाने से पहले।" 
बिन्दा चुप चाप वहाँ से ऊठ गई, मैं उसके जाते जाते उसको सुना दिया, "आज जब दोपहर में तुम्हारी दीदी चुदेगी, तब तुम भी रहना साथ में सीखना....साल-दो साल बाद तो तुम्को भी जाना हीं है, पैसा कमाने।"

दोपहर करीब 3 बजे मैंने रीना को अपने कमरे में पुकारा। रागिनी और रीता मेरे साथ थीं। दो बार आवाज देने के बाद रीना आ गई, तो मैंने रूबी को पुकारा, "रूबी आ जाओ देख लो सब, अभी शुरु नहीं हुआ है जल्दी आओ..." और कहते हुए मैंने रीना के कपड़े उतारने शुरु कर दिए। जब रूबी रूम में घुसी उस समय मैं रीना की पैन्टी उसकी जाँघों से नीचे सरार रहा था। रूबी पहली बार ऐसे यह सब देख रही थी, सो वो भौंचक रह गई। रीना ने नजर नीचे कर लीं, तब रागिनी ने रूबी को अपने पास बिठा लिया और मुझसे बोली, अंकल आज इसकी एक बार गाँड़ मार दीजिए न पहले, अगर दर्द होगा भी तो बाद में जब उसको चोदिएगा तो उस मजे में सब भूल जाएगी।" 


मुझे उसका यह आईडिया पसन्द आया। उसको इस तरह के दर्द और मजे का पूरा अनुभव था। सो मैंने जब रीना को झुकाया तो वो बिदक गई, कि वो अपने पिछवाड़े में नहीं घुसवाएगी। मैं और रागिनी उसको बहुत समझाए पर वो नहीं मानी तो रागिनी बोली, "ठीक है तुम देखो कि मैं कैसे गाँड़ मरवाती हूँ अंकल से, इसके बाद तुम भी मराना। अगर शहर में रंडी बनना है तो यह सब तो रोज का काम होगा तुम्हारा।" कहते हुए वो फ़टाक से नंगी हो कर झुक  गई। मैंने उसकी गाँड़ की छेद पर थुका और फ़िर अपनी ऊँगली से उसकी गाँड़ को खोलने लगा। थुक और मेरे प्रयास ने उसकी गाँड़ को जल्दी हीं ढ़ीला कर दिया। तब एक बार भरपूर थुक को अपने लन्ड पर लगा कर मैंने अपने टन्टनाए हुए लन्ड को उसकी गाँड़ में दबा दिया। रागिनी तो एक्स्पर्ट थी, सो जल्द हीं अपने मस्ल्स को ढीला करते हुए मेरा पूरा लन्ड 8" अपने गाँड़ के भीतर घुसवा ली। रूबी और रागिनी का मुँह यह सब देख कर आश्चर्य से खुला हुआ था। 8-10 धक्के हीं दिए थे मैंने कि रागिनी एक झटके से अपने गाँड़ को आजाद कर ली और फ़िर रीना को पकड़ कर कहा कि अब आओ और गाँड़ मरवाओ।

रीना भी सकुचाते हुए झुक  गई, और एक बार फ़िर मैं थुक के साथ उसकी गाँड़ पे ऊँगली घुमाने लगा। रागिनी भी कभी उसकी चूत सहालाती तो कभी अपने चूत से निकल रहे गिलेपने से तो कभी अपने थुक से उसकी गाँड़ को गीला करने में लग गयी थी। जब मुझे लगा कि अब रीना की गाँड़ को मेरे उँगली की आदत पर गई है तो मैं ने उसकी गाँड़ में अपना एक फ़िर दुसरा उँगली घुसा दिया। दर्द तो हुआ था पर रीना बर्दास्त कर ली। इसके बाद उसके रजामन्दी से मैं उपर उठा और अपले लन्ड को उसकी गाँड़ की गुलाबी छेद पर टिका कर दबाना शुरु किया। रागिनी लगातार उसकी चूत में ऊँगली कर रही थी ताकि मजे के चक्कर में उसको दर्द का पता न चले, और मैं उसकी कमर को अपने अनुभवी हाथों में जकड़ कर उसकी कुँवारी गाँड़ का उद्घाटन करने में लगा हुआ था। जल्द हीं मैं उसकी गाँड़ मार रहा था। अब मैंने रूबी और रीता को देखा, दोनों अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से अपनी दीदी की गाँड़ मराई देख रही थी। करीब 7-8 मिनट के बाद मैं उसकी गाँड़ में हीं झड़ गया और जब लन्ड बाहर निकला तो उसकी गाँड़ से सफ़ेद माल बह चला उसकी चूत्त की तरफ़....तभी बिना समय गवाँए, मैंने अपना लन्ड उसकी चूत में ठाँस दिया। लन्ड अपने साथ मेरा सफ़ेद माल भी भीतर ले कर चला गया।


रूबी अब बोली, "अरे ऐसे तो दीदी को बच्चा हो जाएगा..." 

मैने जोश में भरकर कहा, "होने दो...होने दो....होने दो....और हर होने दो के साथ हुम्म्म्म्म करते हुए अपना लन्ड जोर से भीतर पेल देता। बेचारी की अब चुदाई शुरु थी, जबकि वो चक्कर में थी कि गाँड़ मरवा कर आराम करेगी।

वो थक कर कराह उठी....पर लड़की को चोदते हुए अगर दया दिखाया गया तो वो कभी ऐसे न चुदेगी, यह बात मुझे पता थी। सो मैं अब उसके बदन को मसल कर ऐसे चोद रहा था जैसे मैं उसके बदन से अपना सारा पैसा वसूल कर रहा होऊँ। रीना कराह रही थी....और मैं उसकी कराह की आवाज के साथ ताल मिला कर उसकी चूत पेल रहा था। मेरा लन्ड दूसरी बार झड़ गया, उसकी चूत के भीतर हीं। इसके बाद मैं भी थक कर निढ़ाल हो एक तरह लेट गया। रागिनी झुक कर मेरे लन्ड को चूस चाट कर साफ़ करने लगी।


मैने उस रात रीना को अपने पास ही सुलाया और रात मे एक बार फ़िर चोदा, पर इस बार प्यार से, और इस बार उसको मजा भी खुब आया। वो इस बार पहली बार मुझे लगा कि सहयोग की और ठीक से बेझिझक चुदी। सुबह जब हुम जगे तो सब पहले से जाग गए थे। रीना कमरे से बाहर जाने लगी तो मैंने उसको पास खींच लिया और चुमने लगा।

वो बोली, "ओह अब सुबह में ऐसे नहीं कैसा गंदा महक रहा है बदन...पसीना से।"

मैंने कहा, "अब मर्द के बदन की गन्ध की आदत डालो, बाजार में सब नहा धो कर नहीं आएँगे चोदने तुम्हें...और तुम भी तो महक रही हो, पर मुझे तो बुरा नहीं लग रहा....मैं तो अभी तुम्हारी चूत भी चाटूँगा और गाँड भी।"

फ़िर उसके देखते देखते मैं उसकी चूत चुसने चाटने लगा और वो भी गर्म होने लगी। जल्द हीं उसकी आह आह कमरे में गुंजने लगी, और शायद आवाज बाहर भी गयी, क्योंकि तभी बिन्दा बोली, "उठ गई तो बेटी तो जल्दी से नहा धो लो और तैयार हो जाओ आज बाजार जा कर सब जरुरत का सामान ले आओ, कल तुमको रागिनी के साथ शहर जाना है, याद है ना।"

रीना बोली-"हाँ माँ, पर अब ये मुझे छोड़े तब ना...इतना गन्दा हैं कि मेरा बदन चाट रहे हैं।"

मैंने जोर से कहा, "बदन नहीं बिन्दा, आपकी बेटी की चूत चाट रहा हूँ....आप चाय बनवा कर यहीं दे दीजिए....तब तक मैं एक बार इसको चोद लूँ जल्दी से।" यह कह कर मैंने रीना को सीधा लिटा कर उसके घुटने मोड़ कर जाँघों को खोल दिया। और अपना लन्ड भीतर गाड़ कर उसकी चुदाई शुरु कर दी। आह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह का बाजार गर्म था। और  जैसे हीं मैं उसकी चूत में हीं झड़ा...घोर आश्चर्य......बिन्दा खुद चाय ले कर आ गई।

बिन्दा यह देख कर मुस्कुराई...तो मैंने अपना लन्ड पूरा बाहर खींच लिया...पक्क की आवाज हुई और रीना की चूत से मेरा सफ़ेदा बह निकला। 

बिन्दा यह देख कर बोली, "अरे इस तरह इसके भीतर निकालिएगा तब तो यह बर्बाद हो जाएगी" .  वो जल्दी-जल्दी अपने साड़ी के आँचल से उसकी चूत साफ़ करने लगी। रीना भी उठ बैठी तो बिन्दा उसकी चूत की फ़ाँक को खोल कर पोछी। मैं बिना कुछ बोले बाहर निकल गया हाथ में चाय ले कर, और थोड़ी देर में रीना और बिन्दा भी आ गई। फ़िर हम लोग सब जल्दी-जल्दे तैयार हुए। आज बिन्दा ने अपने हाथ से सारा खाना बनाना तय किया और रीना और रागिनी को मेरे साथ बाजार जा कर सामान सब खरीद देने को कहा। हमें अगले दिन वहाँ से निकलना था और मैंने तय किया कि आज की रात को रीना की चुदाई जरा पहले से शुरु कर दुँगा, क्योंकि आज मैं उसको वियाग्रा खा कर सबके सामने चोदने वाला था। अब जबकि बिन्दा सुबह अपनी बेटी की चूत से मेरे सफ़ेदा को साफ़ कर हीं ली थी तो मैं पक्का था कि आज के शो में वो एक दर्शक जरुर बनेगी। मैंने बाजार में हीं रीना को इसका ईशारा कर दिया था कि आज की रात मैं उसको रंडियों को जैसे चोदा जाता है वैसे चोदुँगा।

मैंने उससे कहा, "रीना बेटी, आज की रात तुम्हारी स्पेशल है। आज मैं तुम्हें सब के सामने एक रंडी को जैसे हम मर्द चोदते हैं वैसे चोदुँगा। अभी तक मैं तुम्हें अपनी बेटी की तरह से चोद रहा था और तुम्हें भी मजा मिले इसका ख्याल रख रहा था, पर आज की रात मैं तुम्हारे मजे की बात भूल कर केवल एक मर्द बन कर एक जवान लड़की के बदन को भोगुँगा तो तुम इस बात के लिए तैयार रहना। शहर में लोगों को तुम्हारे खुशी का ख्याल नहीं रहेगा। उन्हें तो सिर्फ़ तुम्हारे बदन से अपना पैसा वसूल करना रहेगा। करीब 2 बजे हम लोग घर आए और फ़िर खाना खा कर आराम करने लगे। 


रीना अपनी माँ और बहनों के पास थी और रागिनी मेरे पास। हम दोनों अब आगे की बात पर विचार कर रहे थे। मैंने कहा भी कि अब अगले एक सप्ताह तक मुझे काम से छुट्टी नहीं मिलेगी सो आज रात मैं अपना कोटा पूरा कर लुँगा तब रागिनी बोली हाँ और नहीं तो क्या...अब वहाँ जाने के बाद सूरी तो रीना की लगातार बूकिंग कर देगा, जब उसको पता चलेगा कि यह शहर सिर्फ़ कौल-गर्ल बनने आई है। एक तरह से ठीक हीं है आज रात में रीना को जरा जम कर चोद दीजिए कि उसको सब पता चल जाए कि वहाँ हम लोग क्या-क्या झेलते हैं अपने बदन पर।"


मैंने आज शाम की चाय के समय हीं सब को कह दिया कि आज रात में मैं रीना को बिल्कुल जैसे एक रंडी को कस्टमर चोदता है वैसे से चोदुँगा और आप सब वहाँ देखिएगा और रागिनी मेरे रूम में रीना को वैसे हीं लाएगी जैसे रीना को दलाल लोग मर्दों की रुम तक छोड़ कर आएँगे। सबसे पहले सबसे छोटी बहन रीता की मुँह से निकला "वाह ... मजा आएगा आज तो",

फ़िर मैंने बिन्दा को कहा, "अपनी बेटी की पहली दुकानदारी पर वहाँ रहोगी तो उसका हौसला रहेगा...अगर साथ में घरवालें हों तो।" उसके चेहरे से लगा कि अब वो भी अपना सिद्धान्त वगैरह भूल कर, "जो हो रहा है अच्छा हो रहा है", समझ कर सब स्वीकार करने लगी है। उन सब के आश्वस्त चेहरों के देख मैं मन हीं मन खुश हुआ...आजकल मेरी चाँदी है, अब एक बार फ़िर मैं एक माँ के सामने उसकी बेटी को चोदने वाला था...और ऐसी चुदाई के बारे में सोच-सोच कर हीं लन्ड पलटी खाने लगा था। मैंने करीब 8 बजे खाना खाया हल्का सा और रीना को भी हल्का खाना खाने को कहा। फ़िर करीब 9 बजे मैंने वियाग्रा की एक गोली खा ली, रागिनी मुझे वियाग्रा खाते देख मुस्कुराई...वो समझ गई थी कि आज कम से कम 7-8 घन्टे का शो मैं जरुर दिखाने वाला हूँ उसकी मौसी और मौसेरी बहनों को। 

करीब पौने दस बजे मैंने रीना को आवाज लगाई जो अपनी बहनों के साथ अपना सामान पैक कर रही थी। जल्द हीं जब सब समेट कर वो आई तो मैंने उसी को जाकर सब को बुला लाने को कहा और फ़िर खुद सब के लिए नीचे जमीन पर हीं दरी बिछाने लगा। कमरे में एक तरफ़ मैंने बेड को बिछा दिया था। करीब दस मिनट में सब आ गए, सबसे बिस्तर से लगे दरी पर बैठ गए तब रागिनी अपने साथ रीना को लाई।


रागिनी एकदम सूरी के अंदाज में बोली, "लीजिए सर जी, एक दम नया माल है। आपके लिए हीं इसको बुलाया है सर जी, पहाड़न की बेटी है...खुब मजा देगी। रात भर चोदिएगा तब भी सुबह कड़क हीं मिलेगी। अभी तो इसकी चूचियाँ भी नहीं खिली हैं देखिए कैसी कसक रही है"....कह कर उसने रीना की बायीं चूची को जोर से दबा दिया। वहाँ बैठी सभी लोग रागिनी की ऐसी  भाषा सुन कर सन्न थे और उसकी अदाकारी का फ़ैन हो रहा था। फ़िर उसने रीना को मेरी तरफ़ ठेल दिया जिसे मैंने बिना देर किए अपनी तरफ़ खींचा। वियाग्रा खाए करीब एक घन्टा हो गया था सो मेरा लन्ड लगभग टन्टनाया हुआ था। बिना देर किए मैंने रीना के बदन से कपड़े उतारने शुरु कर दिए। पहले दुपट्टा, फ़िर कुर्ती इसके बाद सलवार....। रीना को ऐसी उम्मीद न थी सो मेरी फ़ुर्ती पर वो हैरान थी, और बिना देर किए मैंने उसकी पैन्टी नीचे सरार दी और जब तक वो समझे मैंने उस पैन्टी को उसके ताँगों से निकाल दिया और एक धक्के के साथ उसे नीवे बिछे बिछावन पर लिटा दिया। उसकी दोनों टाँगों को घुटने के पास से पकड़कर खोल दिया और फ़िर उसकी चूत में अपना टनटनाया हुआ लन्ड घुसा कर चोदने लगा। बेचारी सही से गीली भी नहीं हुई थी और उसको मेरे लन्ड पर लगे मेरे थुक के सहारे हीं अपनी चूत मरानी पड़ी सो वो कराह उठी। पर लौन्डिया नया-नया जवान हुई थी सो 5-6 धक्के के बाद हीं गीली होने लगी और मेरा लन्ड अब खुश हो कर मस्ती करने लगा। रीना की माँ और उसकी दोनों बहने वहीं बैठ कर सब देख रही थी। करीब 10 मिनट तक लगातार कभी धीरे तो कभी जोर से मैं उसको चोदा और फ़िर उसकी चूत में झड़ गया। किसी को इसका अंदाजा न था, पर जब मैंने अपना लन्ड बाहर खींचा तो रीना की चूत में से मेरा सफ़ेद माल बह चला।
 

मैंने बिना देरी किए रीना के मुँह में अपना लन्ड घुसा दिया जो ईशारा था उसके लिए, जिसको समझ कर वो मेरे लन्ड को चुस-चाट कर साफ़ की तो मैंने उसको पलट दिया और फ़िर उसकी गाँड़ मारने लगा। उस दिन लगातार चार बार मैं झड़ा, दो बार उसकी चूत में और एक-एक बार उसकी गाँड़ और मुँह में। इसके बाद मैंने पानी माँगा। बेचारी रीना थक कर  चूर थी और वो मुँह से न बोल कर ईशारे से अपने लिए भी पानी माँगी। 

बिन्दा हमारे लिए पानी लेने चली गई तो मैंने ईशारा किया और रीता मेरे पास आ कर मेरे लन्ड को चुसने लगी। बिन्दा जब पानी ले कर आई तो यह देख सन्न रह गई कि उसकी सबसे लाडली और छोटी बेटी अपने से 31-32 साल बड़े एक मर्द का लन्ड चूस रही है, वो भी उस मर्द का जो उसकी माँ के साथ अभी-अभी उसके सामने उसकी बड़ी बहन को चोदा था। वो गुस्से से भर कर रीता को मेरे ऊपर से हटाई तो रागिनी मेरे सामने बैठ कर लन्ड चूसने लगी और जैसे हीं बिन्दा ने एक थप्पड़ रीता को लगाया रुँआसी हो कर बोल पड़ी, "ये सब देख कर मन हो गया अजीब तो मैं क्या करूँ, तुम तो अंकल से चुदा ली और दीदी को भी चुदा दी और मुझे जो मन में हो रहा है उसका क्या? एक बार अंकल का छू ली तो कौन सा पाप कर दी, कुछ समय के बाद मुझे भी तो ऐसे हीं चुदाना होगा तो आज क्यों नहीं?" 

अब रीना तो मैं अगले दौर के लिए खींच लिया था और रागिनी उन माँ-बेटी में सुलह कराने के ख्याल से बोली, "रीता अभी तुम छोटी हो, अभी कुछ और बड़ी हो जाओ फ़िर तो यह सब जिन्दगी भी करना हींहै} अभी से उतावली होगी तो तुम्हारा समय से पहले हीं ढ़ीला हो जाएगा फ़िर किसी को मजा नहीं आएगा न तुमको और न हीं जो तुमको चोदेगा उसको। अभी तो ठीक से झाँट भी नहीं निकला है तुमको।"

मैंने कहा - देखिये बिंदा जी. आज मैंने वियग्रा खाया है. मेरा लंड अभी शांत नही होगा. आपकी रीना तो अभी ही पस्त हो गयी है. अब मै किसे चोदुं?

बिंदा ने कहा - आप मुझे चोद लीजिये.

मैंने कहा - आईये , कपडे उतार कर आ कर नीचे लेट जाईये.

बिंदा ने सिर्फ साड़ी पहन रखी थी. उसने झट अपनी साड़ी उतारी. साड़ी के नीचे उसने ना ब्रा पहनी थी ना ही पेंटी. वो रागिनी और अपनी सभी बेटियों के सामने नंगी हो कर मेरे लंड को चूसने लगी. रीना ने लेटे लेटे ही अपनी चूत में अपनी उंगली डाल कर अपनी माँ को मेरा लंड चूसते हुए देख रही थी. अब मैंने देर करना उचित नही समझा. मैंने बिंदा को पटक कर जमीन पर लिटाया और उसकी टांगों को मोड़ कर अलग कर उसके बुर को फैलाया और अपना विशाल लंड उसके चूत में घचाक से डाल दिया. कई मर्दों से चुदा चुकी बिंदा को भी मेरे इस मोटे लंड का अहसास नही था. वो दर्द के मारे बिलबिला गयी. लेकिन वो मेरे झटके को सह गयी. अब मै उसकी चूत को पलना  चालु कर दिया. उसकी बेटियां अपनी माँ की चुदाई काफी मन से देख रही थी. करीब १५ मिनट की चुदाई में बिंदा ने 3 बार पानी छोड़ा. लेकिन मेरे लंड से 15 वें  मिनट पर माल निकला जो उसकी चूत में ही समा गयी. अब बिंदा भी पस्त हो कर जमीन पर लेट गयी थी. लेकिन मै पस्त नहीं हुआ था. अब रागिनी की बारी थी. वो तो पेशेवर रंडी थी. मैंने सिर्फ उसे इशारा किया और वो बिंदा के बगल में जमीन पर नंगी लेट गयी. 

लेकिन मैंने कहा - रागिनी तेरी गांड मारनी है मेरे को.

रागिनी मुस्कुराई और खड़ी  हो कर एक टेबल पकड़ कर नीचे झुक गयी. मैंने उसकी कई बार गांड मारी थी. इसलिए मेरे लंड को उसके गांड के अन्दर जाने में कोई परेशानी नही हुई. तक़रीबन 200 बार उसके गांड में लंड को आगे -पीछे  करता रहा. लेकिन वो सिर्फ मुस्कुराते रही. बिंदा और उसकी बेटियां मुझे रागिनी की गांड मारते हुए देख रही थी.

मैंने कहा - देखा बिंदा, इसे कहते हैं गांड मरवाना, देखो इसे दर्द हो रहा है?

रूबी ने कहा - रागिनी दीदी तो रोज़ 10-12 बार गांड मरवाती हैं तो दर्द क्या होगा?

मैं रागिनी की गांड मारते हुए हंसने लगा. रागिनी ने भी मुस्कुराते हुए रूबी से कहा - आजा, तू भी गांड मरवा के देख ले अंकल से. तुझे भी दर्द नहीं होगा.

रूबी ने कहा - ना बाबा ना. मै तो सिर्फ चूत चुदवा सकती हूँ आज. गांड नही.

यह सुन कर मेरी तो बांछें खिल गयी. मैंने कहा - खोल दे अपने कपडे , आज तेरी भी चूत की काया पलट कर ही दूँ. क्यों  बिंदा क्या कहती हो?

बिंदा ने कहा - जब चुदाई देख कर रीता की चूत पानी छोड़ने लगी है  तो रूबी तो उस से बड़ी ही है. उस की तमन्ना भी पूरी कर ही दीजिये. लेकिन प्यार से. रूबी, अपने कपडे उतार कर तू भी हमारी बगल में लेट जा.

माँ की परमिशन मिलते ही रूबी ने अपनी कुर्ती और सलवार उतार दिया. अन्दर उसने सिर्फ पेंटी पहन रखी थी. जो पूरी तरह गीली हो चुकी थी. सीने पर माध्यम आकार के स्तन विकसित हो चुके थे. रूबी पेंटी पहने हुए ही अपनी माँ के बगल में लेट गयी. बिंदा ने उसकी पेंटी को सहलाते हुए कहा - क्यों री , तेरी चूत से इतना पानी निकल रहा है?

रागिनी ने अपनी गांड मरवाते हुए कहा - क्यों नहीं निकलेगा पानी मौसी? इतनी चुदाई देखने के बाद तो 100 साल की बुढ़िया की चूत भी पानी छोड़ देगी . ये तो 16 साल की जवान है.

जवाब सुन कर हम सभी को हँसी आ गयी. बिंदा ने रूबी  की पेंटी खोल दी. और उसकी चिकनी गीली चूत सहलाने लगी. 

बिंदा बोली - क्यों री रूबी, ये चूत तुने कब शेव किया? दो दिन पहले तक तो बाल थे तेरी चूत पर.

रूबी - उस रात को जब अंकल तुम्हे चोद रहे थे ना तब तू अंकल से कह रही थी कि मेरी चूत के बाल फँस गए हैं .  तभी मै सजग  हो गयी थी. और उसी रात को चूत की शेव की थी मैंने. मुझे पता था कि क्या पता कब मौका लग जाए चुदाने का? 

बिंदा - अच्छा किया कि तुने चूत की शेव कर ली. नहीं तो तेरे अंकल का लंड इतना मोटा है की चुदाई में बाल फँस जाते हैं और बहुत दुखता है. अच्छा , मै जो मोटा वाला मोमबत्ती खरीद कर लायी थी वो इसमें डालती हो कि  नही आजकल?

रूबी - क्या माँ, अब तेरी उस मोमबत्ती से काम नहीं चलने वाला .  अब तो पतला वाला बैगन भी डाल लेती हूँ.

बिंदा - पूरा घुसा लेती हो?

रूबी - नहीं , आधा डाल कर ही मुठ मार लेती हूँ.

बिंदा - अच्छा ठीक है, आज अपने अंकल का लंड ले कर अपनी प्यास बुझा लो.

मैंने जितना सोचा था उस से भी कहीं अधिक यह परिवार आगे था. मैंने झटाझट रागिनी की गांड मारी और अपना माल उसकी गांड में गिराया. अब मेरी वियाग्रा का प्रभाव कम होना शुरू हुआ. मैंने रागिनी के गांड में से अपना लंड निकला और रूबी के बगल में लेट गया. रागिनी भी नंगी ही मेरे बगल में लेट गयी. अब बिंदा उसकी दो बेटी- रूबी और रीना , रागिनी और मैं सभी एक साथ जमीन पर पूरी तरह नंगे पड़े हुए थे. अब मुझे रूबी की चूत का भी सील तोड़ना था.

मैंने रूबी को अपने से सटाया और अपने ऊपर लिटा दिया. उसका होंठ मेरे होंठ के ऊपर था. मैंने उसके सर को अपनी सर की तरफ दबाया और उसका होठ का रस चूसने लगा. वो भी मेरे होठ के रस को चूसने लगी. उसके हाथ मेरे लंड से खेल रहे थे. मैंने उसे वो सब करने दिया जो उसकी इच्छा हो रही थी. वो मेरे मोटे लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसल रही थी. उसकी माँ और बहन उसके बगल में लेट कर हम दोनों का तमाशा देख रही थी. थोड़ी देर में मैंने उसके होठों को अपने होठ से आजाद किया. उसे जमीन पर पीठ के बल लिटाया और उसकी माध्यम आकार की चुचियों से खेलने लगा. रूबी को काफी मज़ा आ रहा था. 

बिंदा - अरे भाई, जल्दी कीजिये न? कब से बेचारी तड़प रही है.

मैंने भी अब देर करना उचित नही समझा. मैंने कहा - क्यों री रूबी, डाल दूँ अपना लंड तेरी चूत में?

रूबी - हाँ, डाल दो.

मैंने - रोवेगी तो नहीं ना?

रूबी - पहाड़न की बेटी हूँ. रोवुंगी क्यों?

मैंने उसके दोनों टांगों तो मोड़ा और फैला दिया. उसकी एक टांग को उसकी माँ बिंदा ने पकड़ा और दूसरी टांग को रागिनी ने. मैंने अपने लंड को उसकी चूत की छेद के सामने ले गया और घुसाने की कोशिश  की. लेकिन रूबी की चूत की छेद छोटी थी और मेरा लंड मोटा. फलस्वरूप उसकी चूत पर चिकनाई की वजह से मेरा लंड उसकी चूत में ना घुस कर फिसल गया.

बिंदा ये देख कर हंसी और बोली - अरे भाई संभल कर. पहली बार चूत में लंड घुसवा रही है. रुक जाईये. मै डलवाती हूँ.

उसने एक हाथ की उँगलियों से अपनी बेटी रूबी की चूत चौड़ी करी और एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर उसकी चूत की छेद पर सेट किया. फिर मेरा लंड को कस कर पकड़ लिया ताकि फिर फिसल न जाये. बोली - हाँ , अब सही है. अब धीरे धीरे .


मैंने अपना लंड काफी धीरे धीरे रूबी की चूत में ससारना शुरू किया. उसकी चूत काफी गीली थी. इसलिए बिना ज्यादा कष्ट के उसने अपने चूत में मेरे लंड को घुस जाने  दिया. करीब आधा से ज्यादा लंड मैंने उसके चूत में डाल दिया था, लेकिन रूबी को कोई तकलीफ नहीं हो रही थी.

बिंदा को थोडा आश्चर्य हुआ. बोली - क्यों री, पहले ही चुदवा  ली है क्या किसी से?

रूबी - नही माँ. इस लंड के इतना मोटा बैगन तो मै रोज डालती हूँ ना.

मैंने कहा - आप चिंता क्यों करती हो बिंदा जी. अभी टेस्ट कर लेता हूँ.

मैंने कह कर कस के अपने लंड को उसके चूत में पूरा डाल दिया. रूबी चीख पड़ी. --माआआ 

उसकी चूत की झिल्ली फट गयी. उसके चूत से हल्का सा खून निकल आया. खून देख कर बिंदा का संतोष हुआ कि रूबी को इस से पहले किसी ने नहीं चोदा था.

मैंने अपना काम तेजी से आरम्भ किया. उस दुबली पतली रूबी  पर मै पहाड़ की तरह चढ़ उसे चोद रहा था. लेकिन वो अपनी इबादी बहन से ज्यादा सहनशील थी. उसने तुरंत ही मेरे लंड को अपने चूत में और मेरे भारी भरकम शरीर के धक्के को अपने दुबले शरीर पर सहन कर लिया. फिर मैंने उसकी 10 मिनट तक दमदार चुदाई करी. उसकी माँ इस दौरान अपनी बेटी के बदन को सहलाती रही तथा ढाढस बंधाती रही. 10 मिनट के बाद जब मेरे लंड ने माल निकलने का सिग्लन दिया तो मैंने झट से लंड को उसके चूत से निकाला और रूबी को  उठा कर उसके मुह में अपना लंड डाल दिया. वो समझ गयी की मेरे लंड से माल निकलने वाला है. वो मेरे लंड को चूसने लगी. मेरे लंड ने माल का फव्वारा छोड़ दिया. रूबी ने सारा माल बिना किसी लाग लपेट के पी गयी. और मेरे लंड को चूस चूस कर साफ़ करी. 


अब मै फिर एक- एक बार रीना और उसकी माँ बिंदा को चोदा . 

रात दो बज गए थे. अंत में हम सभी थक गए. सबसे छोटी रीता हमारी चुदाई का खेल  देखते देखते वहीँ सो गयी. बिंदा की गांड मारने के बाद मैं थक चुका था. हम सभी जमीन पर नंगे ही सो गए. लेकिन एक घंटे के बाद ही मेरी नींद खुली. मेरा लंड कोई चूस  रही  थी . मै लगभग नींद में था. अँधेरे में पता ही नही था की उन चार नंगी औरोतों में कौन मेरे लंड को चूस रही थी. मेरा लंड खड़ा हो चुका था. वो कौन थी मुझे पता नहीं था. मैंने नींद में ही और अँधेरे में ही उसकी जम के चुदाई की. इसी दौरान मेरी पीठ पर भी कोई चढ़ चुकी थी. ज्यों ही मैंने नीचे वाली के चूत में माल निकाला त्यों ही मेरी पीठ पर चढी औरत ने मुझे अपने ऊपर लिटाया और अपनी चूत में मेरे लंड को घुसा कर चोदने का इशारा किया. फिर मै उसे भी चोदने लगा. तभी मुझे अहसास हुआ की मेरी दोनों तरफ से दो और महिला भी मेरे से सट गयी हैं और मेरे चुदाई का आनंद उठा रही है. यानि मै इस वक़्त तीन औरतों के कब्जे में था. कोई मेरे होठों को चूम रही थी तो कोई मेरे अंडो को चूस रही थी. कोई मेरे लंड को अपने चूत में डलवा रही थी. ये प्रक्रम सुबह होने तक चलता रहा. जब थोड़ा थोडा उजाला हुआ तो मैंने देखा की मुझे से बिंदा, रीना और रूबी लिपटी हुई हैं. मेरे लंड इस वक़्त बिंदा के चूत में थे. बगल में रागिनी बेसुध सोयी पड़ी थी. मैंने अभी भी इन तीनो के साथ चुदाई करना चालु रखा. सुबह के नौ बज चुके थे. और तीनो माँ बेटी मुझे अभी तक नही छोड़ रही थी. ठीक नौ बजे  सबसे छोटी रीता जग गयी. उस वक़्त रूबी मुझसे चुदवा रही थी और बिंदा मेरी पीठ पर चढी हुई थी. उधर रीना अपनी माँ की चूत चूस रही थी. जब मैंने रूबी के चूत में माल निकाला तो कुछ भी नही निकला सिर्फ एक बूंद पानी की तरह निकला. इस में भी मुझे घोर कष्ट हुआ. मजाक है क्या एक रात में 24-25 बार माल निकालना? 


उसके बाद तो मै उन सब को अपने आप से हटाया और नंगा ही किसी तरह आँगन में जा चारपाई पर गिर पड़ा. शायद तब उन तीनों को समय और अपनी परिस्थिती का ज्ञान हुआ. वे तीनो कपडे पहन बाहर आयीं. रागिनी को भी जगाया. हमारी आज की बस छुट चुकी थी. रागिनी बेहद अफ़सोस कर रही थी. लेकिन मुझे नंगा चारपाई पर पड़ा देख उसे काफी आश्चर्य हुआ? उसने बिंदा से पूछा - मौसी, इन्हें क्या हुआ?

बिंदा - रात भर हम लोगों ने इस से चुदवाया. अभी अभी इस को हमने छोड़ा.

रागिनी - माई गाड, इतना तो बेचारा एक महीने में भी नहीं चोदता होगा. और तुम पहाड़नियों माँ बेटियों ने एक ही रात में इसका भुरता बना दिया. हा हा हा हा ...खैर.. इस चारपाई को पकड़ो और इसे अन्दर ले चलो. कोई आ गया तो मुसीबत हो जायेगी.

उन चारों ने मेरी चारपाई को पकड़ा और मुझे अन्दर ले गयी. मै दिन भर नंगा ही पड़े रहा. शाम को मेरी नींद खुली तो मैंने खाना खाया.

हालांकि हमें अगले दिन ही लौट जाना था लेकिन उन माँ बेटियों ने हमें जबरदस्ती 10 दिन और रोक लिया. और वो तीनों माँ-बेटी और रागिनी हर रात को पूरी रात मेरा सामूहिक बलात्कार करती थी .

जब बिंदा और रूबी का मन पूरी तरह तृप्त हो गया तब उसने मुझे रीना के साथ शहर वापस आने की अनुमती दी. रीना तो पहले से ही रंडी बन चुकी थी. शहर आते ही उसने रंडियों में काफी ऊँचा स्थान बना लिया. छः महीने में ही उसने कार और फ़्लैट खरीद कर बिंदा , रूबी और रीता को भी शहर बुला लिया. बिंदा और रूबी भी इस धंधे में कूद पडीं.


मुझे आश्चर्य हुआ कि बिंदा की डिमांड भी मार्केट में अच्छी खासी हो गयी . अब ये तीनो  इस धंधे में काफी कम रही है.

हाँ, सबसे छोटी रीता को इस दलदल से दूर रखा है और उसे शहर से दूर बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाया जा रहा है.